जबलपुर: पात्रता नहीं फिर भी चारपहिया वाहनों में घूम रहे सीएसआई
- हर महीने नगर निगम को लग रहा लाखों का चूना
- ड्राइवर का वेतन 8 हजार और लगभग 12 हजार रुपए का डीजल खर्च होता है
- नगर निगम ने 16 सीएसआई और 3 सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों को चारपहिया वाहन दे रखे हैं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नगर निगम के 16 संभागीय कार्यालयों में तैनात मुख्य स्वच्छता निरीक्षक (सीएसआई) को चारपहिया वाहनों की पात्रता नहीं है। इसके बाद भी नगर निगम ने 16 सीएसआई और 3 सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों को चारपहिया वाहन दे रखे हैं।
इस तरह चारपहिया वाहनों पर किराया, ड्राइवर और डीजल मिलाकर हर महीने 10 लाख रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। यह सब ऐसे समय पर हो रहा है, जब नगर निगम गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
जानकारों का कहना है कि ज्यादातर सीएसआई चतुर्थ श्रेणी, संविदा और विनियमित कर्मचारी हैं। इसलिए उन्हें चारपहिया वाहनों की पात्रता नहीं है। संभागीय कार्यालयों में सीएसआई को वाहन देने के लिए नियमों में सेंध लगाई गई है।
सीएसआई को पूल वाहन के नाम पर चारपहिया वाहन दिए गए हैं। इसका मतलब यह है कि एक वाहन का उपयोग संभाग के सभी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। एक वाहन का किराया लगभग 35 हजार रुपए महीना होता है।
इसके अलावा ड्राइवर का वेतन 8 हजार और लगभग 12 हजार रुपए का डीजल खर्च होता है। एक वाहन पर लगभग 55 हजार रुपए खर्च होता है।
इस प्रकार महीने में 10 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च हो रहे हैं।
इसके अलावा नगर निगम के कई विभागों के अपात्र कर्मचारी चारपहिया वाहन के मजे ले रहे हैं, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है।
पारित हो चुका है प्रस्ताव
चार वर्ष पूर्व नगर निगम सदन से यह प्रस्ताव पारित हो चुका है कि सीएसआई को चारपहिया वाहनों की पात्रता नहीं है। सदन के आदेश की अनदेखी कर पूल वाहन के नाम पर सीएसआई को वाहन दिए जा रहे हैं।
नगर निगम में किराए के कितने वाहन हैं, नियमों के अनुसार वाहन किन अधिकारियों को मिलने चाहिए। इस संबंध में नियमों की जानकारी ली जाएगी। इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
-प्रीति यादव, नगर निगम आयुक्त
ये भी अजब: किराए पर लगा लिए खुद के वाहन
नगर निगम में सीएसआई और अन्य अधिकारियों के मिलाकर कुल 53 किराए के वाहन लगे हुए हैं। राज्य सरकार के नियमों के अनुसार शासकीय और स्वायत्त शासी संस्थाओं में टैक्सी कोटे के वाहन किराए पर लगाए जाने चाहिए।
चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर अधिकारियों ने खुद के निजी वाहन नगर निगम में किराए पर लगा दिए हैं। नगर निगम से मिलने वाला किराया अधिकारियों की जेबों में जा रहा है।