जबलपुर: रेलवे अस्पताल में टोकन मिलने से पहले ही लापता हो जाते हैं चिकित्सक

  • 12 बजे के बाद फ्रैक्चर ताे दूसरे दिन ही होगा एक्स-रे, नहीं होती खून की भी जाँच
  • खून की छोटी से छोटी जाँच के लिए रुकना पड़ रहा
  • मरीज बिना चिकित्सक को दिखाए ही लौटने मजबूर हो रहे हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-02 09:22 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में व्याप्त अनियमितता किसी से छिपी नहीं है। यहाँ के हालात सुधरने की बजाय लगातार बिगड़ ही रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

केंद्रीय अस्पताल में बनाए गए नियमों की बात करें तो यहाँ रेल कर्मचारियों का समय पर इलाज होना संभव नहीं है। अब अगर किसी कर्मचारी या उसके परिजन का दिन में 12 बजे के बाद एक्सीडेंट हो जाए या फिर किसी प्रकार का फ्रेक्चर हो जाए, तो उसी दिन एक्स-रे होना संभव नहीं है।

इसके लिए दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि यहाँ के नियम के अनुसार दोपहर 12 बजे के बाद एक्स-रे नहीं होता। इतना ही नहीं चिकित्सकों का समय निश्चित नहीं होने से कई बार मरीज बिना चिकित्सक को दिखाए ही लौटने मजबूर हो रहे हैं।

रेलवे के केंद्रीय अस्पताल पर केवल जबलपुर ही नहीं बल्कि भोपाल और कोटा के रेल कर्मचारी व उनके परिजन निर्भर हैं। इसके बाद भी यहाँ का सिस्टम सुधारने कोई ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं।

पमरे का मुख्यालय होने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस अव्यवस्था के संबंध में रेलवे का पक्ष जानने सीपीआरओ हर्षित श्रीवास्तव से संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर संपर्क नहीं हो सका।

खून की छोटी से छोटी जाँच के लिए रुकना पड़ रहा

इस अस्पताल में चल रहे तुगलगी नियमों के कारण खून की छाेटी से छोटी जाँच के लिए भी एक-एक दिन का इंतजार करना पड़ता है। यहाँ सुबह 11 बजे के बाद लैब बंद हो जाती है। अगर कोई रेल कर्मचारी पिपरिया व आसपास के स्टेशन से आकर यहाँ खून की जाँच कराना चाहे तो संभव नहीं है।

घंटों लाइन में लगने के बाद मुहर लगाने काउंटर पर जाओ

गुरुवार को केंद्रीय अस्पताल में बड़ी संख्या में रेल कर्मचारियों को यहाँ की अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा, जिससे इनका आक्राेश देखते ही बन रहा था।

कुछ कर्मचारियों ने तो रेल प्रबंधन से शिकायत भी की है। नाम न छापने की शर्त पर इन कर्मचारियों ने बताया कि पूर्व में यह व्यवस्था थी कि काउंटर से आसानी से नंबर मिल जाता था फिर चिकित्सक से परामर्श भी हो जाता था मगर अब नई व्यवस्था के तहत मशीन लगा दी गई है।

घंटों लाइन में लगने क बाद टोकन मिलता है इसके बाद उसमें सील लगवाने काउंटर पर जाना पड़ता है।

अस्पताल में एक्स-रे के साथ ही लैब का समय तय होने से मरीजों को एक से दाे दिन तक रुकना पड़ रहा है। चिकित्सक भी नहीं मिलते। यूनियन ने इस बात को संज्ञान में लिया है और एमडी के साथ जीएम से भी चर्चा की जाएगी।

बीएन शुक्ला, मंडल अध्यक्ष, डब्ल्यूसीआर एम्प्लाॅईज यूनियन

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