जबलपुर: 1.78 में सौदा, अब लागत हुई 4 करोड़, 40 माइंस प्रोटेक्टिव व्हीकल का ऑर्डर कैंसिल!
- व्हीएफजे के हाथ से निकला बड़ा ऑर्डर
- दो प्रोटोटाइप बने, हर टेस्ट में पास और अब कोई लेने वाला नहीं
- सीआरपीएफ अब इस रेट पर व्हीकल लेने तैयार नहीं है
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। व्हीकल फैक्ट्री ने बारूदी सुरंगों को रौंदने वाला देश का सबसे बड़ा बख्तरबंद वाहन (सिक्स बाय सिक्स) तैयार किया। कुछ मॉडीफिकेशन के साथ ऐसे दो प्रोटोटाइप तैयार किए गए और कीमत तय की गई 2 करोड़।
फाइनल हरी झण्डी मिलने तक में इतना वक्त लगा कि लागत 4 करोड़ तक पहुँच गई। सीआरपीएफ अब इस रेट पर व्हीकल लेने तैयार नहीं है, लिहाजा ऐसे 40 युद्धक वाहनों का ऑर्डर कैंसिल किया जा रहा है।
1.78 करोड़ का व्हीकल ऐसे 4 करोड़ का हो गया
दरअसल, जिस वक्त सीआरपीएफ और ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (अब नहीं) के बीच एग्रीमेंट किया गया, तब एक एमएमपीवी की कीमत 1.78 करोड रुपए तय की गई।
तकरीबन दो-ढाई साल पहले यही लागत आँकी गई, लेकिन जब प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुआ तो सीआरपीएफ ने कुछ मॉडीफिकेशन करने को कहा। निर्माणी ने फिर काफी वक्त लिया। ऐसे कई बदलाव हुए और हर बदलाव में अच्छा खासा समय लगा।
लेह लद्दाख में फाइनल ट्रायल
सीआरपीएफ ने फाइनल ट्रायल के लिए सुरंगरोधी वाहन को लेह लद्दाख भेजा। दुर्गम से दुर्गम इलाकों में टेस्टिंग कराई गई।
एमपीवी हर मोर्चे पर कारगर साबित हुआ। आखिरकार सीआरपीएफ ने हरी झण्डी दे दी, लेकिन इसी बीच व्हीएफजे ने स्पष्ट कर दिया कि जिस कीमत पर एग्रीमेंट किया गया, उस पर एमपीवी दे पाना मुमकिन नहीं है।
इसके पीछे कई तरह के मॉडीफिकेशन और टाइमिंग को अहम वजह बताया गया। जानकारों का कहना है कि अब पूरा मसला डिफेंस मिनिस्ट्री के पास भेजा गया है।
4 करोड़| लागत बढ़ने पर एक एमएमपीवी की लागत अब 4 करोड़ पहुँच गई। डिलेवरी लेने सीआरपीएफ को अब देने होंगे 160 करोड़। तकरीबन दो गुने से ज्यादा।
1.78 करोड़| इस रेट के हिसाब से सीआरपीएफ ने 40 एमएमपीवी का ऑर्डर दिया, तकरीबन ढाई साल पहले। कुल कीमत करीब 70 करोड़ रुपए।
नक्सली ऑपरेशन के लिए सभी बदलाव बेहद अहम
10 व्हील, सभी में पाॅवर, सभी बुलेटप्रूफ
नए वाहन के स्पेशिफिकेशन को सुरक्षा कारणों से काफी गोपनीय रखा गया है। ऊपरी तौर पर पता चला है कि व्हीकल में डबल एक्सल होंगे। व्हीकल में कुल 10 व्हील होंगे। खास बात यह है कि सभी में पाॅवर ट्रांसमिशन होगा। इससे कीचड़, पानी के अलावा और भी दुर्गम रास्तों पर वाहन को आगे बढ़ने में किसी तरह की रुकावट नहीं होगी।
01:- फ्रंट ग्लास में गन पोर्ट| एमएमपीवी के फ्रंट ग्लास में फायरिंग के लिए गन पोर्ट बनाया गया है। काँच को काटकर तैयार किए गए पोर्ट से अब बेहद आसानी से फायरिंग की जा सकेगी। बुलेटप्रूफ होने के कारण बाहरी गोलीबारी का असर अंदर बैठे जवानों पर होने का सवाल ही नहीं। पहले के व्हीकल में दुश्मन पर नजर तो सामने से रखी जाती थी, लेकिन फायरिंग कहीं और बने पोर्ट से करनी पड़ती थी।
02:- रॉकेट लाॅन्चर स्टैण्ड| नए वर्जन में रॉकेट लाॅन्चर को व्यवस्थित तरीके से रखने के लिए स्टैण्ड बनाया गया है। जानकारों का कहना है कि पहले इस तरह के इंतजाम न होने से जवानों को रॉकेट दागने के दौरान काफी असुविधा होती रही है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि लाॅन्चर स्टैण्ड हो जाने से रॉकेट को पहले से ही तैयार रखा जा सकेगा।
03:- रियर व्यू कैमरे भी| माइंस प्रोटेक्टिव व्हीकल को अब रियर व्यू कैमरों से लैस किया गया है। इससे वाहन के भीतर से ही पीछे की तरफ नजर रखी जा सकेगी। जानकारों का कहना है कि बख्तरबंद वाहनों को विषय परिस्थितियों में पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है। ऐसे हालात में कैमरों की मौजूदगी बेहद कारगर साबित होती है।
04:- हर तरफ सर्च लाइट| दुर्गम स्थानों में वाहन को पीछे की ओर होने पर हाई पाॅवर लाइट की गैरमौजूदगी खलती रही है। सेना ने इसे भी अपग्रेड करने की बात कही थी, लिहाजा वाहन निर्माणी ने नए वर्जन के चारों कोने पर सर्च लाइट फिट कर दी। निर्माणी सूत्रों का कहना है कि रात के वक्त किसी भी तरह के मूवमेंट के लिए काफी आसानी होगी।