खेतों के "अंधे सिंचाई कुएं' बन रहे वन्यजीवों के लिए काल
कुओं में गिरने से अनेक वन्यजीवों की जा चुकी है जान
डिजिटल डेस्क, गोंदिया । जंगलों से सटे खेतों में स्थित सिंचाई कुओं को सुरक्षा दीवार नहीं होने के कारण वन्यजीव इन कुओं में समा रहे हैं। अनेक वन्यजीवों की मृत्यु भी कुओं के पानी में डूबने से हुई हैं। यदि इसी तरह स्थिति बनी रही तो जंगलों में स्थित दुर्लभ वन्यजीवों को खतरा हो सकता है। यहां बता दें कि नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प व वन विभाग के जंगलों से सटकर गांव तथा खेत लगे हुए हैं। शासन की योजनाओं के माध्यम से फसलों को सिंचाई के लिए किसानों ने जंगल से सटे खेतों में कुओं का निर्माण किया है। लेकिन अधिकांश कुएं जमीन से समतल होने से नजदीक पहुंचने पर कुएं दिखाई नहीं पड़ते। यहां तक कि कुआं परिसर में झाड़ियां उग आने से सिंचाई कुआं पूरी तरह से झाड़ियों में छिपी होती है। ऐसे में जंगली प्राणी जब विचरण करने खेत खलियानों की ओर पहुंचते हैं। तो वे सीधे समतल सिंचाई कुओं में समा जाते हैं। जिससे कुओं के पानी में डूबने से वन्यजीवों की मृत्यु हो जाती है। जिले में अनेक वन्यजीवों की मृत्यु कुओं में गिरने से हो चुकी है। वन विभाग की योजना के माध्यम से कुआंे को सुरक्षा दीवार तैयार कराने के लिए निधी उपलब्ध की जाती है, लेकिन इस निधि का लाभ किसान नहीं उठा रहे है। यही एक वजह है कि जंगलों से सटे कुओं को सुरक्षा दीवार बनाई नहीं गई है और यही कुएं वन्यजीवों के लिए मौत साबित हो रहे हैं।