आजादी के 75 वर्षों बाद पहली बार रोशन हुआ अंधेरे में डूबा गांव
- गोंडा जिले का वनटांगिया गांव हुआ रोशन
- आजादी के 76 साल बाद पहुंची बिजली
- वनटांगिया समुदाय को अंग्रेजों ने जंगलों में बसाया
डिजिटल डेस्क, गोण्डा। आजादी के अमृत काल में अब गोण्डा के जंगलों में बसने वाले वनटांगिया समुदाय का जीवन भी रोशन हो उठा है। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप गोण्डा जिला प्रशासन की पहल पर रामगढ़ वनटांगिया गांव तक बिजली पहुंच पाई है।
आजादी के करीब 75 वर्षों बाद अब उनके गांव की ओर जाने वाले रास्ते भी दूधिया रोशनी से जगमगा उठे हैं। गोण्डा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा वन विभाग अप्रोच सड़क से रामगढ़ वनटांगिया गांव तक के मार्ग को रोशन किया गया।
गोण्डा की हरदवा ग्राम पंचायत में रामगढ़ वनटांगिया गांव है। आजादी के करीब 75 वर्ष बाद भी यह गांव विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ था। समाज के पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों का विकास योगी सरकार की प्राथमिकता रही है।
सीएम की मंशा के अनुरूप जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बीती 12 जून को जनपद की कमान संभालने के साथ ही वनटांगिया समुदाय को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी। उन्होंने स्वयं 16 जून को रामगढ़ वनटांगिया गांव का निरीक्षण किया और विकास की रणनीति तैयार की।
एक ओर जहां वनटांगिया समुदाय के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए गांवों में दो सरकारी स्कूल स्थापित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। वहीं गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने की पहल की गई। अब गांव रोशन भी किया जा रहा है। इसका काम मंगलवार को शुरू किया गया।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर समुदाय तक पहुंचाना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। जिला प्रशासन इसके लिए प्रतिबद्ध है। जिलाधिकारी के निरीक्षण के दौरान ग्राम वासियों की ओर से बिजली न होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसको प्राथमिकता से लिया गया। मंगलवार को गांव के मुख्य मार्ग पर खंभे और लाइट लगाने का काम शुरू भी कर दिया गया। पहली बार गांव में दुधिया रोशनी देख गांव वालों के चेहरे खिल उठे। बच्चे हों या बुजुर्ग सभी के चेहरों पर एक अलग सी खुशी देखने को मिली।
बुजुर्ग महिला फूलादेवी ने कहा, पहले अंधेरा रहता था। शाम के समय आना-जाना संभव ही नहीं था, क्योंकि अंधेरे में जानवरों द्वारा हमले का डर रहता था। कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह का बदलाव देखने को मिलेगा। हमें तो सब सुविधा हो गई।
इस गांव की ममता कहती हैं कि अब अंधेरे से निजात मिल जाएगी। गांव के संतराम बताते हैं कि कुलदेवी का मंदिर है। नवरात्री में यहां पूजा होती है। हर साल 20 हजार रुपए सिर्फ रोशनी के लिए जनरेटर पर खर्च होते थे, लेकिन अब यह नहीं करने होंगे। वह कहते हैं कि इतने वर्षों के बाद पहली बार किसी ने उनपर ध्यान दिया है।
रामगढ़ वनटांगिया गांव को वन विभाग अप्रोच रोड से जोड़ने के लिए मार्ग निर्माण की जिम्मेदारी खण्ड विकास अधिकारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि सड़क का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में पहुंच गया है। इंटरलॉकिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अगस्त माह के अंत तक इस क्षेत्र में आवागमन सुलभ हो जाएगा।
पूर्वांचल के वनटांगिया समुदाय का इतिहास पुराना है। इन्हें अंग्रेजों ने जंगलों में बसाया था। आजादी के 70 दशक बाद भी इनका वजूद राजस्व अभिलेखों में न होने की वजह से यह समाज विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मई 2018 में गोण्डा के वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर मुख्यधारा से जोड़ा। इससे वन क्षेत्रों में बसे इन वन ग्रामों के निवासियों को सड़क, राशन, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित करने की प्रक्रिया शुरू हो सकी। जलौनी लकड़ी काटकर और बेचकर पेट पालने वाले वनटंगिया के परिवार को आजादी के बाद पहली बार वोट करने का हक मिला।
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