सात वर्ष से नहीं निकली भोजन वितरण की निविदा
- समाज कल्याण विभाग की नियोजन शून्यता
- बरसों से एक ही ठेकेदार को दिया गया है भोजन पकाने का जिम्मा
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। राज्य सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और वीजे-एनटी संवर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास और निवासी शालाएं आरंभ कर उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ पोषक आहार देने की योजना आरंभ की है। लेकिन यह योजना आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में पूरी तरह विफल साबित होते दिखायी दे रही है। वर्ष 2016 से भोजन वितरण की निविदा प्रक्रिया ही नहीं चलाने से पिछले 7 वर्ष से जिले के 7 छात्रावास और 3 निवासी शालाओं के विद्यार्थियों को एक ही आपूर्ति धारक से भोजन का वितरण किया जा रहा है। निविदा प्रक्रिया नहीं होने से आपूर्ति धारक को भी वर्ष 2016 के तय दर के अनुसार ही वर्तमान में भोजन परोसना पड़ रहा है जिसके कारण भोजन की गुणवत्ता पर भी अब प्रश्न चिह्न अंकित होने लगे हैं। छात्रावास और निवासी शालाओं में शिक्षारत जिले के कुल 1125 विद्यार्थियों को नियमानुसार भोजन नहीं मिलने से समाज कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली भी अब कटघरे में दिखायी दे रही है। योजना के तहत हर तीन वर्ष में आपूर्ति धारक के लिए निविदा प्रक्रिया चलाकर योजना का क्रियान्वयन करने के आदेश सरकार ने दिए हंै। मात्र आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में वर्ष 2016 से निविदा प्रक्रिया ही नहीं चलायी गयी।
जानकारी के अनुसार, गड़चिरोली के 4 छात्रावास, आरमोरी 1, अहेरी की एक निवासी शाला और गड़चिरोली की एक निवासी शाला में आपूर्ति धारक के रूप में गड़चिरोली की सेवा एजेंसी कार्य कर रही है। वहीं सिरोंचा की निवासी शाला में गोंदिया की बालाजी ट्रेडर्स द्वारा भोजन पहुंचाया जाता है। शेष 2 छात्रावास में सरकारी मेस से भोजन दिया जाता है। वर्ष 2020 में निविदा प्रकाशित की गयी थी। लेकिन किसी ठेकेदार द्वारा आपत्ति जताने से टेंडर खोला नहीं गया। इसी कारण वर्ष 2016 में चयनित ठेकेदारों के माध्यम से ही भोजन परोसा जा रहा है। वर्ष 2016 में प्रति वर्ष-प्रति विद्यार्थी के लिए 3 हजार 300 रुपए दर घोषित किया गया था। सरकारी नियमानुसार विद्यार्थियों को बुधवार और रविवार को मांसाहारी भोजन देना अावश्यक है।