छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सम्मान राशि बहाल कर मीसा बंदियों को लौटाया सम्मान

  • धमतरी के मीसाबंदी श्री शिरोमणि राव घोरपड़े ने बतायी आप बीती, कहा 18 महीने बिताये जेल में
  • मीसाबंदियों को सम्मान राशि देने की शुरूआत वर्ष 2008 से की गयी थी।
  • मीसाबंदियों को प्रदान की जाने वाली सम्मान निधि पुनः प्रारंभ की जायेगी।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-01 11:27 GMT

डिजिटल डेस्क,धमतरी। वर्ष 1975 में लगे आपातकाल में लोकतंत्र  की रक्षा के लिए संघर्ष की बात जब भी आएगी, तब लोकतंत्र के प्रहरी मीसाबंदियों के संघर्षों को सदैव याद किया जायेगा और इनसें प्रेरणा ली जाएगी कि इन्होंने लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी।

आपातकाल के दौरान सैकड़ों लोगों को जेल में बंद रखा गया। इन मीसाबंदियों ने जेल में जो पीड़ा, जुल्म सहे उन जख्मों पर मरहम लगाने का काम प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बीते दिन विधानसभा में यह घोषणा कर की कि अब मीसाबंदियों को प्रदान की जाने वाली सम्मान निधि पुनः प्रारंभ की जायेगी। इस घोषणा से धमतरी जिले के मीसाबंदियों में हर्ष व्याप्त है।

आपातकाल में धमतरी के मीसाबंदी के तौर पर सजा काटने वाले श्री शिरोमणी कृष्णा राव घोरपड़े ने बताया कि वे स्वयं और उनके 11 अन्य साथियों को 1975 में मीसाबंदी बनाकर रायपुर स्थित नई जेल में रखा गया था।

सरकार ने मीसाबंदियों की सम्मान राशि की बहाली के लिए जो पहल की है, वह सराहनीय है। इससे मीसाबंदियों का सम्मान लौट आया है। उन्होंने बताया कि आपातकाल के समय लोकतंत्र सेनानी जब जेल जाते थे, तो उस परिवार की स्थिति बड़ी पीड़ादायक हो जाती थी।

इन परिवारों के सामने आजीविका का संकट हो जाता था। पूर्व में डॉ रमन सिंह की सरकार ने मीसाबंदियों के लिए सम्मान राशि देने की शुरुआत की थी, जिसे बंद कर दिया गया था। श्री घोरपड़े ने बताया कि मीसाबंदियों को सम्मान राशि देने की शुरूआत वर्ष 2008 से की गयी थी।

धमतरी जिले में कुल 52 मीसाबंदी थे, जिनमें से अब सिर्फ 7 मीसाबंदी ही रह गए है। उन्होंने शासन से आग्रह किया है कि 2008 के पूर्व जिले के ऐसे मीसाबंदी जिन्हें किसी कारणवंश सम्मान राशि नहीं मिल पा रहा है, उनके परिजनों को भी मीसाबंदी के तहत् सम्मान राशि प्रदान किया जाये।

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