पलशीकर और यादव ने एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों से अपना नाम हटाने लिखा पत्र

पाठ्यपुस्तकों में बदलाव से हैं नाराज

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-09 13:38 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों में एकतरफा और अतार्किक काट-छांट करने से व्यथित राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर सुहास पलशीकर और राजनीतिक विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने एनसीईआरटी को पत्र लिखकर इन पाठ्य पुस्तकों से मुख्य सलाहकार के रूप में उनका नाम हटाने को कहा है। पलशीकर और यादव नौंवी से 12वीं कक्षा के लिए राजनीतिक विज्ञान की मूल पुस्तकों के मुख्य सलाहकार है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि पाठ्य पुस्तकों को युक्तिसंगत बनाने के नाम पर इन्हें विकृत कर दिया गया है और अकादमिक रूप से बेकार बना दिया गया है। परिषद द्वारा किए गए पाठ्य पुस्तकों में अतार्किक बदलाव के पीछे का तर्क हम समझ नहीं पा रहे है।

पत्र में उन्होंने कहा है कि हमसे इन बदलावों के बारे में कभी सलाह या सूचित भी नहीं किया गया। कोई संपर्क नहीं किया गया। बदलावों को लेकर हम पूरी तरह से असहमत है। उन्होंने लिखा है कि पाठ्य पुस्तकों को पूरी तरह से दलगत भावना के अनुरूप आकार नहीं दिया जा सकता और ऐसा करना भी नहीं चाहिए। हमारा मानना है कि ऐसी एकतरफा काट-छांट से पाठ्यपुस्तक की भावना का उल्लंघन होता है। श्रृंखलाबद्ध काट-छांट का सत्ता को प्रसन्न करने के अलावा और कोई तर्क समझ में नहीं आता। हमारे लिए शर्मिंदगी की बात है कि ऐसी विकृत और अकादमिक रूप से बेकार पाठ्यपुस्तकों के मुख्य सलाहकार के रूप में हमारे नाम का उल्लेख किया गया है। हम दोनों इन पाठ्य पुस्तकों से अपना नाम अलग रखना चाहते है और आग्रह करते है कि एनसीईआरटी हमारे नाम को तत्काल प्रभाव से हटा दे।

गौरतलब है कि एनसीईआरटी ने नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की किताब से महात्मा गांधी की मौत का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिंदू कट्टरपंथियों को उकसाया और आरएसएस जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध सहित कई अंशों को हाल ही में हटा दिया गया था। 11वीं की समाजशास्त्र की पुस्तक से गुजरात दंगों के अंश को हटा दिया गया है

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