Chhindwara News: आठ दिनों की दहशत से मिली मुक्ति, पिंजरे में कैद हुआ तेंदुआ
- गुरूवार सुबह पिंजरे में कैद हुआ, पेंच पार्क के जमतरा में परिक्षेत्र में सुरक्षित छोड़ा
- रिसर्च सेंटर परिसर में लगातार तेंदुए का मूवमेंट होने से यहां रहने वाले लोगों में दहशत फैली हुई थी।
- तेंदुए को पकडऩे के लिए वन विभाग की टीम ने दो पिंजरे अलग-अलग स्थान पर लगाए थे।
Chhindwara News: पिछले आठ दिनों से परासिया रोड स्थित पोआमा नर्सरी के पास भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद कौशल केन्द्र परिसर में तेंदुए के मूवमेंट और इससे फैली दहशत से मुक्ति मिल गई है। गुरूवार सुबह वन विभाग की टीम के द्वारा लगाए गए पिंजरे में तेंदुआ कैद हो गया। पिंजरे में कैद नर तेंदुए की उम्र तकरीबन पंाच से छह साल है। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने पेंच नेशनल पार्क के चिकित्सक डॉ अखिलेश मिश्रा और पशु चिकित्सक डॉ अंकित मेश्राम सहित वन विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में पेंच नेशनल पार्क के जमतरा परिक्षेत्र के वन क्षेत्र में छोड़ा गया।
रिसर्च सेंटर परिसर में लगातार तेंदुए का मूवमेंट होने से यहां रहने वाले लोगों में दहशत फैली हुई थी। इसके लिए पूर्व वनमंडल के छिंदवाड़ा रेंजर पंकज शर्मा और उनकी टीम में डीप्टी रेंजर राजेश श्रीवास्तव, प्रवीण चंद्रपुरी, संतोष सिंह ठाकुर, रवि सिंह वर्मा, अरुण सेंगर, मस्तान सिंह, शंकर मर्सकोले, मानसिंग भोबले लगातार सर्चिंग कर रही थी। यहां पर ट्रेप कैमरा और ङ्क्षपजरा लगाया गया था जिसमें तेंदुआ कैद हुआ।
सुबह तेंदुआ देखकर दी सूचना
तेंदुए को पकडऩे के लिए वन विभाग की टीम ने दो पिंजरे अलग-अलग स्थान पर लगाए थे। दो दिन पहले एक पिंजरे का स्थान बदला गया था जिसमें बुधवार-गुरूवार की दरमियान रात में तेंदुए के पिंजरे में कैद होने की संभावना है। अगले दिन गुरूवार को वन विभाग के वनरक्षक रूटिन के तहत पिंजरे और लगाए गए कैमरों की जांच करने पहुंचा था इस दौरान पिंजरे में कैद तेंदुए होने की सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम पहुंची थी।
इनका कहना है
- वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन मेें लगातार गश्ती की जा रही थी और दो पिंजरे कैमरे लगाए गए थे। गुरूवार सुबह तेंदुआ पिंजरे में कैद मिला। जहां पशुचिकित्सकों की उपस्थिति में वन विभाग की निर्धारित प्रक्रिया के तहत रेस्क्यू कर तेंंदुए को पेंच टाइगर रिजर्व की जमतरा परिक्षेत्र के वन क्षेत्र में विमुक्त किया गया।
- पंकज शर्मा, रेंजर छिंदवाड़ा वनमंडल