Chhindwara News: 80 की क्षमता वाली आदर्श गौशाला में 146 गौवंश मौजूद, आए दिन दम तोड़ रहे बीमार पशु
- नवाचार का बंटाधार..गौमूत्र प्रसंस्करण वर्मी कंपोस्ट और गोबर से लकड़ी निर्माण बंद
- गौशाला की तीन एकड़ भूमि खाली पड़ी है, जिसमें नेपीयर घांस लगाई जा सकती है।
- आदर्श गौशाला के शुभारंभ के समय निगम ने सुपरवाइजर सहित 10 कर्मचारी पदस्थ किए थे।
Chhindwara News: छह साल पहले निगम की आदर्श गौशाला में हुए नवाचार का बंटाधार हो चुका है। लाखों खर्च कर वर्मी कम्पोस्ट इकाई, गौमूत्र प्रसंस्करण एवं गोबर से लकडिय़ां बनाने इकाईयों की शुुरूआत 2018 में की गई थी। वहां तीन सालों से काम बंद है। कोरोना काल के बाद बिगड़ी व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए न तो अधिकारियों ने काम किया और न ही नेताओं ने।
2018 में कांग्रेस सरकार के दौरान पाठाढाना की गौशाला को आदर्श गौशाला का रूप दिया गया था। तब यहां नवाचार करते हुए अधिकारियों ने नई इकाइयों की शुरूआत की थी। उद्देश्य था कि इन इकाइयों से निकलने वाले प्रोडक्ट से निगम की आय बढ़ाई जाएगी। वहीं निगम की इस गौशाला को प्रदेश की मॉडल गौशाला के रूप में विकसित किया जाएगा। अब हालात ये हैं कि जो नवाचार शुरू किए गए थे। वह मार्च 2020 से बंद है। लाखों खर्च कर बने शेड व और मशीने कबाड़ में तब्दील हो रहे है। वहीं गौशाला में अव्यवस्था के चलते बीमार पशु आए दिन दम तोड़ रहे है।
क्षमता से दोगुने गौवंश: लगभग एकड़ में बनी पाठाढाना आदर्श गौशाला में वैसे तो 100 गौवंश की क्षमता है लेकिन यहां मौजूद सुपरवाइजर ने बताया कि 80 पशुओं को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में यहां पर 146 गौवंश पशु मौजूद है। जिनके लिए वर्तमान में पर्याप्त भूसा उपलब्ध मिला।
निगम के प्रयास की जरूरत
गौशाला की तीन एकड़ भूमि खाली पड़ी है, जिसमें नेपीयर घांस लगाई जा सकती है।
ठंड के मौसम में बीमार पशुओं के लिए गोबर की लकडिय़ों से आलाव जलाए जा सकते है।
शहर के एक दो ही समाज सेवी भूसा व चुनी उपलब्ध करा रहे है, और भी समाजसेवियों से मदद ली जा सकती है।
गौशाला की आय के लिए फिर से वर्मी कम्पोस्ट, गोमूत्र प्रसंस्करण व गोबर लकड़ी निर्माण इकाई को शुरू कराया जा सकता है।
गौशाला की बंद पड़ी इकाइयां
गोबर लकड़ी निर्माण: गौशाला मेंं एक मशीन वर्तमान में उपलब्ध है। लेकिन निर्माण कार्य लंबे समय से बंद है। गोबर-भूसा व लकड़ी के मिश्रण से बनने वाली लकड़ी की हवन पूजन में अच्छी मांग थी।
गौ-मूत्र प्रसंस्करण इकाई
गौशाला से निकलने वाले गौ-मूत्र को प्रसंस्करित करते हुए यहां गौ-मूत्र बनाया जा रहा था। जिसको बाजार में अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा था। इस इकाई को भी बंद कर दिया गया है।
वर्मी कम्पोस्ट इकाई: गोबर से भी खाद बनाने का काम यहां शुरू किया गया था। जिसके लिए दो बड़े टांके बनाए गए थे, टांके भी अब टूटने लगे है। जैविक खेती करने वाले किसानों को यहां से कम कीमत पर खाद उपलब्ध कराई जा सकती थी। लेकिन इसे बंद कर दिया गया है।
निगम के सिर्फ दो कर्मचारी
आदर्श गौशाला के शुभारंभ के समय निगम ने सुपरवाइजर सहित 10 कर्मचारी पदस्थ किए थे। लेकिन समय के साथ ही कर्मचारियों की संख्या घटती गई है। चरमराती व्यवस्था के बीच अब निगम के एक प्रभारी व सुपरवाइजर ही मौजूद है। बाकी 5 अन्य कर्मचारी ठेका पर काम कर रहे है। मौजूद सुपरवाइजर ने बताया कि शहर से पकडऩे वाले आवारा पशुओं को लंबे समय से गौशाला में नहीं लाया गया है।
इनका कहना है
बीते एक पखवाड़े में 4 गौवंश की मौत हुई है। वहीं वर्तमान में 8 गौवंश बीमार है। सप्ताह में तीन दिन पशु चिकित्सक गौशाला में उपचार के लिए बुलाए जाते है। वर्तमान में गोबर के कंडे बनाए जा रहे है।
-मीत पवार, आदर्श गौशाला प्रभारी