चंद्रपुर: पिंजरे में कैद हुआ बाघ, लगाकार गश्त लगा रही थी टीम, चार को बनाया था शिकार

  • चार लोगों की जान लेने वाला बाघ शिकंजे में
  • बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से उत्पात मचाया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-02 13:24 GMT

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। महाराष्ट्र के बल्लारपुर के कारवां जंगल में चार लोगों की जान लेने वाले बाघ को पकड़ने में आखिरकार वनविभाग सफल हुआ। बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से उत्पात मचा रहे नरभक्षी बाघ ने 7 जनवरी को शामराव रामचंद्र तिडसुरवार, 27 फरवरी को जंगल में बकरियां चराने गई लालबच्ची रामअवध चव्हाण, 14 मार्च को जंगल से लकड़ियां लाने गए रवींद्र वार्ड निवासी नामदेव आत्राम और 14 अप्रैल को बल्लारपुर बामनी के केमतुकुम से सटे जंगल में लकड़ियां लाने गए दिवाकर मनोहर उमाटे को इस बाघ ने अपना निवाला बनाया था जिससे बाघ को कैद करने का अभियान युद्धस्तर पर चलाया गया। बाघ को पकड़ने की अनुमति मार्च में मिलने के बाद दिन-रात जंगल की खाक छानते के बाद आखिर वनविभाग के अधिकारी कर्मचारियों को सफलता मिली।

बल्लारशाह वनपरिक्षेत्र में बाघ को ट्रैक करने के लिए दिन-रात जंगल में गश्त लगा रहे थे। 29 अप्रैल को गश्त के दौरान नियतक्षेत्र बल्लारशाह के वनखंड क्रमांक 494 के ट्रैप कैमरे में उक्त बाघ देखा गया। बल्लारशाह के वनपरिक्षेत्र अधिकारी नरेश भोवरे द्वारा समस्त अधीनस्थ वन कर्मचारियों के साथ बाघ को कैद करने के लिए अभियान चलाया गया। 29 अप्रैल को बल्लारशाह कारवा रोड जंगल में बाघ होने की पुष्टि की गई और शाम लगभग 6.30 बजे, वन्यजीव उपचार केंद्र ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, चंद्रपुर के पशु चिकित्सा अधिकारी कुंदन पोडचलवार के मार्गदर्शन में शूटर अविनाश फुलझेले, वनरक्षक द्वारा बाघ को गोली मारकर बेहोश किया गया।

इसके बाद सहायक वनसंरक्षक आदेश कुमार शेंडगे और वनपरिक्षेत्र अधिकारी नरेश भोवरे के नेतृत्व में सभी वनकर्मियों को लेकर बाघ की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। बाद में उक्त बेहोश बाघ की पशुचिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच की गई और पिंजरे में बंद कर आगे की जांच के लिए वन्यजीव उपचार केंद्र, चंद्रपुर ले जाया गया। पशु चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि उक्त बाघ लगभग 10 वर्ष का है। उक्त कार्रवाई श्वेता बोड्डू, उपवन संरक्षक, मध्य चंदा वनविभाग, चंद्रपुर के मार्गदर्शन में आदेश कुमार शेंडगे सहायक वन संरक्षक, नरेश भोवरे वनपरिक्षेत्र अधिकारी बल्हारशाह के नेतृत्व में एन. के घुग्लोत क्षेत्रसहायक बल्लारशाह, ए. एस. पठान क्षेत्रसहायक उमरी, वी. पी. रामटेके क्षेत्रसहायक करवा एवं वनरक्षक एस.एम. बोकड़े, आर. एस. दुर्योधन, डी बी मेश्राम, टी.ओ. कामले, ए.बी. चौधरी, पी.एच. आनकाडे, एस.आर. देशमुख, बी. एम. बनकर, अतिशीघ्र दल चंद्रपुर के कर्मचारी, पीआरटी टीम, ईटोली, उमरी पोतदार, उमरी तुकुम, सतारा कोमटी, सतारा भोसले और जीव विज्ञानी नूरअली सैयद, नीतेश बावने तथा दैनिक वन मजदूरों ने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। इसलिए वन विभाग उक्त बाघ को कैद करने में सफल रहा।

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