बाघों की लड़ाई: "छोटा मटका' से दांव-पेंच में जिंदगी की जंग हार गया "बजरंग'
दो बाघों के बीच जबर्दस्त संघर्ष
डिजिटल डेस्क, गडचिरोली। बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध ताड़ोबा में अनेक बाघ, बाघिनों ने अपनी अठखेलियों के साथ पर्यटकों का मन मोहा है। ऐसा ही एक बजरंग बाघ था जो अनेक पर्यटकों का पसंदीदा बना था किंतु बढ़ती उम्र और लड़ाई के दांव पेंच कम पड़ने से छोटा मटका के साथ उसकी अंतिम लड़ाई हुई और बजरंग की मौत हो गई। इसलिए, खड़संगी बफर जोन वन क्षेत्र के वाहानगांव खेत परिसर में बजरंग का संघर्ष समाप्त हो गया।
चार से पांच वर्ष पूर्व ताड़ोबा और बाद में करांडला अभयारण्य में अपना कब्जा बनाने वाले जय बाघ के अचानक गायब हो जाने की घटना बाघ प्रेमियों के लिए एक सदमा साबित हुई है। जय बाघ के साथ अनेक बाघों का संघर्ष हुआ है। वनविभाग बाघों को टी फोर, फाइव इस प्रकार से पहचान देती है वहीं वन्यजीव प्रेमी, गाइड बाघों का नामकरण करते हैं और उस नाम से पहचानते हंै।
ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प के कारवा वन परिक्षेत्र के कोलसा क्षेत्र में कुवानी बाघिन के शावक बजरंग ने अपनी मां कुवानी से कोलसा, कारवा जंगल में शिकार करना सीखा, फिर सन 2011 में उसने ताड़ोबा कोर में रुद्रा नामक बाघ से लड़ाई की। कुछ समय के लिए ताड़ोबा कोर में अपना क्षेत्र स्थापित किया, फिर मदनापुर बफर जंगल में कंकाझरी नर के साथ अस्तित्व के लिए लड़ना पड़ा और मदनापुर बफर में रहना पड़ा। बजरंग को पंढरपौनी क्षेत्र में दो बाघों छोटा मटका और मोगली के साथ अस्तित्व के लिए लड़ना पड़ा और बजरंग ने अपना क्षेत्र बदलकर खड़संगी बफर क्षेत्र के अलीझंजा, रामदेगी जंगल में रहना शुरू कर दिया था। इस क्षेत्र में बबली और भानुसखिंडी बाघिन रहती है, जबकि छोटा मटका बाघ भी इसी क्षेत्र में रहता है।
कोलसा जंगल से शुरू हुआ था बजरंग का संघर्ष : कोलसा के जंगल से शुरुआत करके, बजरंग कई पर्यटकों का पसंदीदा बन गया क्योंकि उसने अपने समय पर रुद्रा, कंकाझरी नर, छोटा मटका और मोगली के साथ तगड़ा संघर्ष किया। एक समय पर छोटा मटका के साथ संघर्ष कर अपना राज्य स्थापित करने वाले बजरंग की बढती आयु और दांवपेंच कम पडने से मंगलवार को खडसंगी बफर क्षेत्र के वहानगांव में छोटा मटका के साथ हुआ संघर्ष अंतिम साबित हुआ और बजरंग को अपनी जान गंवानी पडी और छोटा मटका भी घायल हुआ है। उसकी मौत के साथ बजरंग का संघर्ष समाप्त हो गया। दुबले-पतले शरीर वाला बजरंग बाघ ताडोबा का गौरव था और उसने इस बाघ अभ्यारण्य के एक बड़े क्षेत्र पर अपना साम्राज्य स्थापित किया है। संभवतः बिग डैडी बाघ के बाद सबसे अधिक संख्या में बाघिनों को अपने नियंत्रण में लाने का रिकॉर्ड उसके नाम है। छोटा मटका से लड़ाई के समय बजरंग की उम्र करीब 14 साल रही होगी। -मनीष नाईक, वन्यजीव प्रेमी तथा अध्यक्ष ट्री फाउंडेशन चिमूर