मांग: घोड़ाझरी और कन्हारगांव अभयारण्य में कर्मचारियों की भर्ती के लिए "मानव श्रृंखला सत्याग्रह’

दोनों अभयारण्यों में पर्यटन का मॉडल गांव के समग्र विकास की दिशा में बनाएं : धोतरे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-20 06:00 GMT

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। इको-प्रो ने सत्याग्रह के नौवें दिन, घोड़ाझरी और कन्हारगांव को अभयारण्य घोषित हुए क्रमश: पौने छह, और पौने तीन वर्ष होने के बावजूद पदस्थापना न होने से अधिकारियों और कर्मचारियों की तत्काल नियुक्ति की मांग, दोनों अभयारण्यों में पर्यटन के मॉडल को गांव के समग्र विकास की दृष्टि से बनाने की मांग को लेकर मंगलवार को "मानव श्रृंखला सत्याग्रह आंदोलन’ किया गया।

ब्रह्मपुरी वन प्रभाग के वन क्षेत्र में ‘घोड़ाझरी अभयारण्य' जिसे 5 साल पहले (23 मार्च 2018) जिले में सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे में ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के पूर्व-उत्तर दिशा में घोषित किया गया था और कन्हारगांव अभयारण्य ताड़ोबा के दक्षिणी वन्यजीव गलियारे में मध्य चांदा वन मंडल के अंतर्गत वन क्षेत्र में 2 वर्ष पूर्व (21 मार्च 2021) घोषित होने के बाद भी वन्यजीवों की दृष्टि से व्यापक वन्यजीव प्रबंधन कार्य शुरू नहीं किया गया है। इसके साथ ही आसपास के गांव के विकास के लिहाज से यहां पर्यटन के विकास के लिहाज से भी काम शुरू नहीं किया गया है। क्योंकि इसके लिए जो मैनपावर चाहिए वह यह है कि अधिकारी-कर्मचारी का पद तो वर्गीकृत कर दिया गया है, लेकिन कर्मचारी की नियुक्ति अब तक नहीं हो सकी है। इससे वन्यजीव प्रबंधन, अभ्यारण्यों के साथ-साथ इस क्षेत्र के गांवों का विकास भी अवरुद्ध हो गया है।

घोड़ाझरी और कन्हारगांव दोनों अभयारण्यों को ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के तहत बफर प्रबंधन में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, और यहां अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। कन्हारगांव अभ्यारण्य घोषित होने के दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पदों का वर्गीकरण तो हो गया, लेकिन कर्मचारियों की पदस्थापना अब तक नहीं हो सकी है। कन्हारगांव अभयारण्य के लिए जहां कुल 46 पदों की आवश्यकता है, वहीं गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय में 11 पदों को वर्गीकृत किया गया है। इनमें से 4 पदों का प्रस्ताव सरकार के पास लंबित है।  शेष 35 पदों को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। पांच साल से अधिक समय बीत चुका है जब घोड़ाझरी अभयारण्य के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों के कुल 21 पदों पर नियुक्ति की आवश्यकता है, लेकिन सभी पद अभी भी खाली हैं। हालांकि दोनों अभयारण्य प्रबंधन के लिए ताड़ोबा बफर के अंतर्गत हैं, क्योंकि मुख्यालय से दूरी बहुत लंबी है, इस अभयारण्य का कार्यालय अभयारण्यों के बगल के तहसील में स्थित होना चाहिए।

शीतकालीन सत्र के नौवें दिन घोड़ाझरी और कन्हारगांव के घोषित अभ्यारण्यों को पुनर्जीवित करने, इन क्षेत्रों के गांवों के विकास के लिए पदों की तत्काल नियुक्ति की मांग और पर्यटन विकास की मांग को लेकर इको-प्रो नौवा सत्याग्रह/आंदोलन कर रहा है। इन अभयारण्यों को एक जन-उन्मुख पर्यटन मॉडल के रूप में विकसित किया गया। मानव श्रृंखला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया गया। इको-प्रो संस्था के अध्यक्ष बंडू धोतरे के नेतृत्व में नितीन रामटेके, कुणाल देवगिरकर, धर्मेंद्र लुनावत, ओमजी वर्मा, अब्दुल जावेद, राजू काहिलकर, प्रकाश निर्वाण, राजू हाडगे, हरीश मेश्राम, रोजर रंगारी, बंडू दुधे, प्रीतेश जीवने, जीतेंद्र वल्के, भूषण धावले, सचिन धोतरेे, सुनील मिलाल, नीलेश दौडकर, लोकेश भालमे, भारती शिंदे, योजना धोतरेे, शारदा काहिलकर, विशाखा लिपटे आदि ने भाग लिया।

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