जंगली हाथी की मौत: वनविभाग की कार्रवाई संदेह के घेरे में
जंगली सुअर फसलों को कर रहे तबाह
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। जिले के सिंदेवाही तहसील के नियतक्षेत्र लोनखैरी कक्ष क. 247 आर.एफ. के सीमा पर स्थित एक खेत में 3 अक्टूबर को (मादा) हाथी मृतावस्था में मिला था। करंट से मृत्यु की आशंका जताते हुए किसानों पर वनविभाग ने अपराध दर्ज किया। वनविभाग की आनन-फानन की कार्रवाई पर संदेह व्यक्त करते हुए जंगली हाथी की मृत्यु की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदार डीएफओ व आरएफओ पर अपराध दर्ज करें और बेकसूर किसानों पर दर्ज किए अपराध रद्द करने की मांग गोंडवाना विदर्भ मुक्ति संगठन के संयोजक योगेश समरीत ने की है। उन्होंने यहां जारी विज्ञप्ति में बताया कि, कुछ माह से छत्तीसगढ़ से गड़चिरोली जिले में हाथी के समूह ने प्रवेश किया। उस समूह से एक हाथी भटककर चंद्रपुर जिले में सिंदेवाही में घूम रहा था। यहां उसकी मृत्यु हुई। वनविभाग द्वारा उसकी मृत्यु करंट से होने की बात घोषित की। सिंदेवाही तहसील में जंगली सुअर फसलों को तबाह कर रहे हैं।
फसल को बचाने हेतु किसान खेत को बाड़ से सुरक्षित करते हैं। कभी-कभी करंट भी छोड़ते हैं। ऐसे में एक हाथी की मौत हुई। वनविभाग द्वारा आनन-फानन में जांच कर हाथी की मौत बाड़ में लगाए करंट से होने की घोषणा की। जहां मृत्यु हुई वहां ऐसे कुछ कारण बताकर किसानों पर वनविभाग द्वारा पुलिस कार्रवाई कर मामला दर्ज किया गया। हाथी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई। ऐसी परिस्थिति में वनविभाग ने जो कार्रवाई की है, उसपर संदेह निर्माण हो रहा है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में कानून बना है। जिसमें एक राज्य से दूसरे राज्य में जंगली हाथी यात्रा करते है तो उनकी सुरक्षा की सभी जिम्मेदारी वनविभाग पर होती है। हाथी की सुरक्षित वापसी उसके प्राकृतिक निवास में कैसे होगी। इस ओर अनदेखी कर चंद्रपुर व गड़चिरोली के वन अधिकारी द्वारा पेट्राेलिंग न करते हुए सिर्फ कागजों पर पेट्रोलिंग दिखाई गई। हाथी जब सिंदेवाही में खेत में जाकर धान की फसल नुकसान कर रहा उसी समय वनविभाग ने उसे बेहोश कर पकड़कर उसे वापस भेजने का प्रयास किया होता तो उसकी जान बच सकती थी। समरीत ने आरोप लगाया कि, पेट्रोलिंग कागजों पर दिखाकर सरकार से मिलनेवाली निधि में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री और वनमंत्री को पत्र दिया है।