घटिया निर्माण: दिंडोरा बैराज परियोजना की दीवार में पड़ीं दरारें, नागरिकों ने लगाए घटिया निर्माणकार्य के आरोप
जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग
डिजिटल डेस्क, वरोरा(चंद्रपुर)। वरोरा तहसील अंतर्गत दिंडोरा बैराज परियोजना चंद्रपुर, यवतमाल और वर्धा जिलों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है। परियोजना को 2017 में एक सिंचाई परियोजना के रूप में घोषित किया गया था और परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है। ज्ञात हो कि इस परियोजना की लागत 1400 करोड़ है। प्रकल्प को 21 गेट से सटाकर 52 मीटर लंबी किवाल (गेड़वाल) का निर्माण कराया गया है। लेकिन दीवार में करीब 10 स्थानों पर दरारें पड़ गईं हैंं। इससे सोईट, दिंडोरा, बामरदा, बोरी, आमदी सहित आसपास के निवासी परियोजना से सटे यवतमाल और वर्धा जिले के नागरिकों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। दिंडोरा के नागरिकों ने आरोप लगाया है कि परियोजना का निर्माण घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग करके किया जा रहा है। नागरिकों ने यह भी मांग की है कि दोषियों पर उचित जांच और कार्रवाई की जानी चाहिए।
दिंडोरा बैराज परियोजना के लिए चंद्रपुर, यवतमाल, वर्धा के किसानों की जमीन बहुत कम मुआवजे पर अधिग्रहित की गई थी। अब किसानों के पास जमीन नहीं है। तीन जिलों के 1100 किसानों की 1400 हेक्टेयर जमीन इस परियोजना में स्थानांतरित कर दी गई। सरकार की ओर से सहायता दी गई। तब जमीन निप्पॉन डेनरो को दे दी गई। लेकिन उसके बाद जमीन दिंडोरा बैराज परियोजना को हस्तांतरित कर दी गई। परियोजना के तहत तीनों जिलों के 32 गांवों की मांग है कि उन्हें सही पैकेज मिले। किसानों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष समिति कई बार आंदोलन कर चुकी है और दिंडोरवासी भी न्याय पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है।
परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है और परियोजना के गेट से सटे किवाल (गेटवॉल) का निर्माण पूरा हो चुका है और नदी में पिलर का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन दिंडोरा के ग्रामीणों ने निर्माण में मिश्रित डस्ट का उपयोग करते समय क्षतिग्रस्त सामग्री का उपयोग न करने का विरोध किया, लेकिन उसी सामग्री का उपयोग करके निर्माण किया जा रहा है। इस कारण, नागरिकों ने कहा है कि किवाल में लगभग 10 स्थानों पर दरारें हैं। आशंका है कि भविष्य में इस परियोजना से नदी के किनारे बसे गांवों को खतरा हो जाएगा।
जिलाधिकारी को भेजेंगे प्रस्ताव : दिंडोरा गांव सोइट ग्राम पंचायत में शामिल है और परियोजना में गांव की जमीन चली गई है और परियोजना का निर्माण घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग करके किया जा रहा है। इससे नदी के किनारे के गांवों को खतरा निर्माण हो गया हैै। विश्वसनीय जानकारी है कि सोईट ग्राम पंचायत एक प्रस्ताव लेकर घटिया निर्माण की जांच के लिए जिला कलेक्टर को प्रस्ताव भेजेगी