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Chandrapur News: हाथ आयी धान की फसल रोगों के कारण नष्ट होने की कगार पर
- लागत भी निकलेगी की नहीं इसे लेकर किसान चिंतित
- दवा का छिड़काव किया है किंतु उसका कोई असर नहीं
- फसल बचाने के उपाय में जुटे किसान
Chandrapur News गोंडपिपरी तहसील के आक्सापुर परिसर की मुख्य फसल धान है। वर्तमान में धान पक कर कटाई के लिए तैयार है। किंतु अंतिम समय पर धान पर रोग का असर दिखाई दे रहा है। इस रोग के कारण हाथ में आने वाली धान की फसल किसानों के हाथ से निकल जाने की आशंका है। रोग के कारण फसल की लागत भी निकलेगी की नहीं इसे लेकर किसान चिंतित है। आक्सापुर के एक किसान नितीन बोंदले ने बताया कि, धान पककर काटने को तैयार है। ऐसे समय पर फसल पर रोग का संकट दिखाई दे रहा है। जिससे हाथ में आई फसल किसानों की आंखों के सामने नष्ट हो रही है और उत्पादन में कमी आएगी।
गोंडपिपरी तहसील के आक्सापुर परिसर की मुख्य फसल धान है। किंतु अनेकों बार किसानों को कभी अतिवृष्टि तो कभी अल्पवृष्टि का सामना करना पड़ता है। अनेक किसानों ने कीमती दवा का छिड़काव किया है किंतु उसका कोई असर नहीं हुआ। नतीजा किसानों के हाथ आने वाली फसल का उत्पादन घटने वाला है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। फसल की पैदावार के लिए लगाया लागत खर्च भी न निकलने से किसान चिंतीत है। गत वर्ष भी किसानों को इस रोग का संकट करना पड़ा था।
धान उत्पादक तहसीलों में यूरिया की बढ़ी मांग : जिले की नागभीड़, सिंदेवाही, मूल, सावली, ब्रम्हपुरी, चिमूर, पोंभूर्णा आदि तहसीलों में धान की अधिकतर पैदावार की जाती है। बरसात में हुई अतिवृष्टि और बांधों का पानी छोडे जाने से बाढ़ में धान की फसल बह गई है। अनेक किसानों ने दुबारा रोपाई की तैयारी की है, इसलिए इस वर्ष धान उत्पादक किसानों में यूरिया की मांग अधिक होगी।ज्ञात हो कि जुलाई महीने में कई दिनों तक धान के खेतों में पानी भरा रहने की वजह से धान की फसल सड़ गई और पानी उतरते समय अपने साथ में ब्याड को बहा ले गई । इसकी वजह से अनेक किसानों के सामने दुबारा रोपाई का संकट आ गया । अनेकों किसानों ने संकट से उबरते हुए दुबारा रोपाई की । अब खेतों में धान की फसल लहलहा रही है। अब धान को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक की आवश्यकता है। किंतु यूरिया की वजह से किसानों का लागत खर्च बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
Created On :   29 Oct 2024 10:01 AM GMT