भोपाल: फिर मिलेंगे... के संकल्प के साथ 'विश्व रंग 2024' का 'मॉरीशस' में हुआ भव्य समापन समारोह

  • विश्व रंग ने भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक– शैक्षिक संबंधों को मजबूती प्रदान की–माननीय प्रवीण कुमार जगनाथ,प्रधानमंत्री, मॉरीशस गणराज्य
  • अफ्रो–एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्व रंग सम्मान की घोषणा
  • विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलम्पियाड की घोषणा
  • टैगोर अंतरराष्ट्रीय केंद्र के अंतर्गत एक करोड़ लोगों को जोड़ेंगे हिंदी अर्जन पाठ्यक्रम से

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-13 13:48 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदी के वैश्विक प्रचार–प्रसार व साहित्य, कला, संस्कृति के लिए समर्पित विश्व रंग 2024 के भव्य आयोजन ने भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक– शैक्षिक संबधों को मजबूती प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। विश्व रंग के विभिन्न सत्रों में हुए वैचारिक विमर्श से जो विचार हमारे सामने आए हैं, हम मिलकर उस दिशा में सार्थक कदम बढ़ाएंगे। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (भोपाल, भारत) तथा महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग (एम.ओ.यू.) होना आपसी समन्वय से दीर्घकाल तक रचनात्मक और सृजनात्मक कार्यों के अवसर उपलब्ध कराएगा। विश्व रंग के ऐतिहासिक आयोजन और एम.ओ.यू. के लिए विश्व रंग के निदेशक व रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्व विद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे को बहुत–बहुत हार्दिक बधाई! विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों को भी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। उक्त उद्गार माननीय प्रवीण कुमार जगनाथ, प्रधानमंत्री, मॉरीशस गणराज्य ने विश्व रंग 2024 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

 

इस अवसर पर संतोष चौबे, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (भोपाल, भारत) ने कहा कि विश्व रंग के समापन समारोह में हम अलविदा नहीं कह रहे हैं, हम इस अवसर पर फिर मिलेंगे... के संकल्प के साथ अपने–अपने देश लौट रहे हैं। हम फिर नई ऊँचाइयों और नये रंगों के साथ फिर मिलेंगे...।रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (भोपाल, भारत) तथा महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग (एम.ओ.यू.) का होना दोनों देशों को भाषा, शिक्षा, साहित्य, कला, संस्कृति की दिशा में आपस में मिलजुलकर रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।

आपने आगे कहा कि जब फरवरी में मॉरीशस में आना हुआ था, तब मॉरीशस के महामहिम राष्ट्रपति जी, माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीया उपप्रधानमंत्री जी से भेंट करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ था। उस समय रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और मॉरीशस सरकार सहित मॉरीशस के महत्वपूर्ण संस्थानों, संस्थाओं विशेषकर विश्व हिंदी सचिवालय, महात्मा गांधी संस्थान, रबीन्द्रनाथ टैगोर संस्थान, हिंदी स्पीकिंग यूनियन, हिंदी प्रचारिणी सभा, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र, मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग, मॉरीशस दूरदर्शन एवं रेडियो के अधिकारियों से भी सार्थक विचार विमर्श हुआ था। उल्लेखनीय है कि विश्व रंग 2024 का मॉरीशस में भव्य , अद्भुत, अद्वितीय आयोजन इसी का सुखद परिणाम है।

एक करोड़ लोगों को जोड़ेंगे हिंदी अर्जन पाठ्यक्रम से

आपने आगे कहा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय परिसर में 'टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र' स्थापना की गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी पठन– पाठन के लिए हिंदी अर्जन पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया। मानकीकरण और प्रमाणीकरण का कार्य भी किया गया है। हम पूरे विश्व में एक करोड़ लोगों को हिंदी पठन–पाठन कार्यक्रम से जोड़ेंगे।

अफ्रो–एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्व रंग सम्मान की घोषणा

विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने इस अवसर पर घोषणा करते हुए कहा कि विश्व रंग 2025 से 'शिक्षा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाली शख्सियत को 'अफ्रो–एशिया अंतरराष्ट्रीयविश्व रंग सम्मान' से अलंकृत किया जाएगा।

विश्व रंग भाषा सम्मान 2024 से सम्मानित हुई देश–विदेश की विभूतियाँ

विश्व रंग 2024 में माननीय श्री प्रवीण कुमार जगनाथ, प्रधानमंत्री, मॉरीशस गणराज्य एवं श्री संतोष चौबे, निदेशक विश्व रंग व कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (भोपाल, भारत) के करकमलों से हिंदी के लिए अलग अलग परिवेश में महत्वपूर्ण कार्य करने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. लालदेव अंचराज (मॉरीशस), वरिष्ठ रचनाकार डॉ. हेमराज सुंदर(मॉरीशस), सुप्रसिद्ध लोकगायिका डॉ. मालिनी अवस्थी (भारत), ख्यात बांग्ला गायिका सुश्री जयति चक्रवर्ती (भारत), वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं रचनाकार डॉ. पद्मेश गुप्त (यू.के.), वरिष्ठ कथाकार डॉ. दिव्या माथुर (यू.के.), सुप्रसिद्ध तकनीकी विशेषज्ञ एवं रचनाकार डॉ. बालेन्दु दाधीच शर्मा (भारत) को 'विश्व रंग भाषा सम्मान 2024' से सम्मानित किया गया।

 

पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों से देशप्रेम की अलख जगाई

भारत की सुप्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने विश्व रंग के अंतर्गत अपने ओजस्वी लोकगीतों से महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस के सभागार में उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। लोकगीतों की सुमधुर और भावविह्वल कर देने वाली तानों का आगाज करते हुए मालिनी अवस्थी ने जब फिरंगियों द्वारा प्रतिबंधित देशभक्ति से ओतप्रोत लोकगीतों की प्रस्तुति की तो महात्मा गांधी संस्थान (मॉरीशस) में उपस्थित हजारों श्रोताओं की आँखें नम हो गई। वंदेमातरम गीत से उन्होंने गिरमिटियाओं के संघर्षों को शत शत नमन किया। इस ऐतिहासिक प्रस्तुति में संगत में की-बोर्ड पर सचिन कुमार, हारमोनियम पर राजेश मिश्रा, ढोलक और तबले पर अमित कुमार और ऑक्टोपेड पर धर्मेंद्र कुमार रहे।

 

विश्व रंग के 'पूर्व रंग' में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को समारोह पूर्वक किया गया पुरस्कृत

विश्व रंग के अंतर्गत जून–जुलाई माह में मॉरीशस में विभिन्न स्तरों पर विश्व रंग की 'पूर्व रंग' गतिविधियों का आयोजन किया गया। इनमें हिंदी प्रचारिणी सभा(मॉरीशस)ने पठन, भाषण और कविता की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। हिंदी स्पीकिंग यूनियन (मॉरीशस) द्वारा गीत प्रतियोगिता आयोजन किया गया। इंदिरा भारतीय कला केंद्र (मॉरीशस) द्वारा नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गई। महात्मा गांधी संस्थान (मॉरीशस) ने नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता आयोजित की गई। इन प्रतियोगिताओं में हजारों विद्यार्थियों और युवाओं ने रचनात्मक भागीदारी की। विश्व रंग के अवसर इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं की मनमोहक प्रस्तुतियाँ हुई। विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने सभी विजेताओं को रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय (भोपाल, भारत) की और से सम्मान राशि और प्रशस्तिपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

 

प्रवासी रचनाकारों को किया गया सम्मानित

विश्व रंग 2024 में रचनात्मक भागीदारी करनेवाले सभी प्रवासी रचनाकारों को विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे ने समारोहपूर्वक सम्मानित किया।

विश्व रंग के तीसरे दिन आयोजित सत्र :

'हिंदी फिल्में और विश्व हिंदी प्रसार' विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि एवं विश्व रंग के सह-निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई ने की। इस सत्र में अशोक मिश्र, युधिष्ठिर मनबोध (मॉरीशस), विजय मल्होत्रा, इंद्रजीत सिंह, रितेश महावीर (मॉरीशस) डॉक्टर मनीष चौधरी ने अपने विचार व्यक्त की है। आकाशवाणी मुंबई के वरिष्ठ उद्घोषक कमल शर्मा में इस सत्र का संचालन किया।

'विश्व हिंदी साहित्य में नई अभिव्यक्ति' विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डॉ. जितेंद्र श्रीवास्तव ने की। इस सत्र में डॉ. निकिता ओबिगाडू (मॉरीशस), नीलेश रघुवंशी (भारत) शुभंकर मिश्रा (मॉरीशस) रामकुमार तिवारी (भारत) ने अपने विचार व्यक्त किये। इस सत्र का संचालन टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक विनय उपाध्याय ने किया।

 

विश्व रंग के माध्यम से हिंदी की उपलब्धियाँ विषय पर आयोजित विमर्श विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें प्रवासी रचनाकारों ने श्री संतोष चौबे से रचनात्मक बातचीत की। सत्र के सूत्रधार की बागडोर कुणाल सिंह ने संभाली। सत्र का संयोजन ज्योति रघुवंशी ने बातचीत के माध्यम से किया।

वैश्विक स्तर पर हिंदी में अनुवाद संभावनाएं और चुनौतियां विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अरुण कमल (भारत) ने की। इस सत्र में वक्तागण के रूप में वरिष्ठ कवि डॉ. जितेंद्र श्रीवास्तव (भारत), सान–यन–उ (दक्षिण कोरिया), डॉ. सफर्मो तोलिबी (रूस) रीता कुमार (भारत) डॉ. तनुजा पदारथ बिहारी (मॉरीशस) ने अपने विचार व्यक्त किये। सत्र का संचालन युवा कथाकार कुणाल सिंह द्वारा किया गया।

विश्व में हिंदी : माध्यम और मानकीकरण (देवनागरी लिपि के संदर्भ में) विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार एवं अनुवादक श्री जानकी प्रसाद शर्मा (भारत) ने की। इस सत्र में बालेन्दु दाधीच शर्मा(भारत), प्रो. वेदप्रकाश सिंह (जापान), अलका धनपत (मॉरीशस), डॉ. संजीता वर्मा (नेपाल), डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव (भारत) ने अपने विचार प्रस्तुत किये। सत्र का संचालन डॉ. जवाहर कर्नावट ने किया।

लेखक से मिलिये में वरिष्ठ कवि बलराम गुमास्ता से वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा, सविता भार्गव (भारत) और अपर्णा वत्स (आस्ट्रेलिया) ने कविता के विभिन्न पहलुओं पर वार्ता की।

समालोचनात्मक दृष्टि और प्रवासी साहित्य विषय पर सत्र की अध्यक्षता विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे द्वारा की गई। इस सत्र में वरिष्ठ संपादक-आलोचक अखिलेश (भारत), प्रवासी संसार के संपादक डॉ. राकेश पाठक (भारत), डॉ. लक्ष्मी झमन (मॉरीशस), डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण (भारत) ने अपने विचार व्यक्त किये। सत्र का संचालन युवा आलोचक अच्युतानंद मिश्र (भारत) ने किया।

 

कत्रिम मेधा : हिंदी और भविष्य की चुनौतियाँ विषय पर आयोजित हत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार–पत्रकार प्रियदर्शन ने की। इस सत्र में बालेन्दु दाधीच शर्मा (भारत), वंदना मुकेश (यू.के.) प्रो. राज शेखर (मॉरीशस), एवं महीप निगम (भारत) द्वारा विचार साझा किये गये। आभार डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, सह-निदेशक, विश्व रंग द्वारा दिया गया। सत्र का संचालन विश्व रंग सचिवालय के सचिव, संजय सिंह राठौर द्वारा किया गया।

लेखक से मिलिए सत्र में वरिष्ठ कथाकार से युवा कथाकार आशुतोष द्वारा बातचीत की गई। इसी क्रम में वरिष्ठ कवि नीलेश रघुवंशी से युवा कथाकार एवं वनमाली कथा के संपादक कुणाल सिंह द्वारा बातचीत की गई।

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