भोपाल: श्री गणेश उत्सव कार्यक्रम में कत्थक नृत्य कलाकार देंगे प्रस्तुती

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-16 13:57 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। देशभर में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी के दिन से घर-घर में गणपति बप्पा विराजमान होते हैं। खास तौर पर तो गणेश उत्सव की धूम महाराष्ट्र में देखी जा सकती है। महाराष्ट्र जैसा उत्सव पूरी दुनिया कहीं देखने को नहीं मिल सकता है। गणेशोत्सव महाराष्ट्र के लिए सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।

मप्र में भी गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। नर्मदापुरम के समीपस्थ ग्राम जमानी में हर साल गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। प्रभुदयाल दुबे ने बताया कि 1960 के दशक में स्थापित श्री गणेशोत्सव कार्यक्रम इस वर्ष भी मंगलवार को रात्रि 9.30 बजे से आयोजित किया जा रहा है। आयोजनकर्ता दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिवर्ष अनुसार इस बार भी कार्यक्रम में देश के जाने माने कलाकारों द्वारा शास्त्रीय कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। इस अवसर पर कत्थक नृत्य कलाकार अमृत मिश्रा, श्रीमती वसुंधरा शर्मा, श्रेयना कृष्णा अपनी कत्थक नृत्य एवं संरचनाओं की प्रस्तुति देंगे।

संगत पर तबला वादक अनुराग मिश्रा, आनंद मिश्रा, गायक पं. विशाल मिश्रा सागर, बांसुरी वादक डॉ. शानिश कुज्ञावली, सारंगी वादक अंकित मिश्रा अपनी प्रस्तुति देंगे। आयोजन समिति के पवन कुमार दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि 1960 में पुरुषोत्तम लाल दुबे, रविशंकर दुबे, विजय शंकर दुबे, शंभू दयाल दुबे ने इस कार्यक्रम की स्थापना की थी। जो आज भी अनवरत जारी है। उन्होंने बताया कि गणेशोत्सव में अभी तक देश भर के अनेकों प्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी है, लेकिन पहली वंदना मुस्लिम गायक ने की थी।

सन् 1960 में पहली गणेश वंदना मुस्लिम गायक उस्ताद आदिल खां झांसीवाले ने की थी। फिर हैदराबाद के शेख दाऊद के तबले पर विदिशा के गंगाप्रसाद पाठक ने गायन की प्रस्तुति दी थी। सागर के रामजी हर्ष सितार और लखनऊ के गिरधारीलाल सारंगी पर थे। 1962 में दिल्ली से नसीर अहमद खां और मुंबई से ताज अहमद खां भी अपनी प्रस्तुति जमानी के गणेशोत्सव में दे चुके हैं। उनके साथ तबला वादक निजामुद्दीन खां ने संगत दी थी। तबले के उस्ताद अहमद जान तिरकवा, अल्लारक्खा खां, किसन महाराज, उस्ताद विलायते खां सितार वादक , प्रसिद्ध नृत्यांगना सितारा देवी, अभिनेता गोविंदा की मां निर्मला देवी शास्त्रीय गायन के लिए कई बार गांव जमानी आ चुके हैं।

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