भोपाल: स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी में सृजन 2024 का हुआ आयोजन

  • भारत प्राचीन समय से ही कौशल विकास को महत्व देते आया है - अमोघ गुप्ता
  • हम बच्चों का जैसा चरित्र निर्माण करना चाहते हैं, पहले वैसा चरित्र स्वयं का बनाएं - दामोदर जैन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-10 14:27 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी (एसजीएसयू)के डिपार्टमेंट ऑफ फ्यूचर स्किल्स के द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय “सृजन 2024” कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के वनमाली सभागार में किया गया। इसमें सृजन 2024 के अध्यक्ष अमोघ गुप्ता, राज्य शिक्षा केंद्र मप्र से दामोदर जैन, एसजीएसयू चांसलर डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, एसजीएसयू वाइस चांसलर डॉ. अजय भूषण, आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं आईटीडीपीआर डॉ. अमिताभ सक्सेना, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नेंस के भूतपूर्व डायरेक्टर डॉ. एचएस मिश्र, एसजीएसयू के कुलसचिव डॉ. सितेश कुमार सिन्हा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे और शिक्षकों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कई जानकारियां साझा की।

कार्यक्रम के पहले सत्र में एसजीएसयू के कुलसचिव डॉ. सितेश कुमार सिन्हा ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और शिक्षकों का स्वागत करते हुए कौशल विश्वविद्यालय की परिकल्पना को साझा किया। इसके बाद अमोघ गुप्ता ने सृजन 2024 की सार्थकता पर बात करते हुए भारतीय सभ्यता के विभिन्न पहलुओं पर बात की और विभिन्न उद्धरणों के माध्यम से समझाते हुए बताया कि भारत प्राचीन समय से ही कौशल विकास को महत्व देते आया है। हमारे यहां 2500 साल पहले विप्लाद ने गर्भोपनिषद में पेट काट कर बच्चे को निकालने के उदाहरण दिए हैं। ऐसे में शिक्षकों के लिए आवश्यक है कि वे भारत और भारतीय ज्ञान परंपरा को समझें और आने वाली पीढ़ी को ऐसे पढ़ाएं जिससे वे भी भारत को समझ सकें। राज्य शिक्षा केंद्र मप्र से दामोदर जैन ने अपने वक्तव्य में सभी शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अच्छी प्रकार से पढ़ने का आह्वान किया और उसमें से अपने अनुकूल ऐसे विषयों पर काम करने की बात कही जो शिक्षा को बेहतर बना सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि हम बच्चों का जैसा चरित्र निर्माण करना चाहते हैं, पहले वैसा चरित्र स्वयं का बनाएं।

एसजीएसयू के वाइस चांसलर डॉ. अजय भूषण ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के कार्यों और महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि हमारे यहां इंडस्ट्री एम्बेडेड कोर्सेज का संचालन किया जा रहा है जिसमें 30 प्रतिशत क्लास बेस्ड नॉलेज है वहीं 70 प्रतिशत प्रायोगिक या इंडस्ट्री अनुभवशामिल है। डॉ. अमिताभ सक्सेना ने अपने वक्तव्य में ऐसे वातावरण निर्माण की बात की जो शिक्षा को सहज एवं सुलभ बना सके। उन्होंने बताया कि दुनिया में नॉर्वे और फिनलैंड एजुकेशन में टॉप पर माने जाते हैं, और वहां शिक्षा का मॉडल गुरुकुल आधारित है। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर भी बात की। वहीं, एसजीएसयू के चांसलर डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में नई शिक्षा नीति के क्रियांवयन से जुड़ी चुनौतियों पर बात की और करिकुलम डेवलपमेंट में सहयोग प्रदान किए जाने की बात कही।

दूसरे सत्र में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नेंस के भूतपूर्व डायरेक्टर डॉ. एचएस मिश्र ने एनईपी में बदलावों पर बात की। पहले का एजुकेशन सिस्टम में क्या खामियां थी। ऐसे में क्या बदलाव करके कैसे बेहतर हो पाए, इत्यादि मुद्दों को साझा किया। साथ ही कई वीडियो के माध्यम से शिक्षण कके अलग-अलग दृष्टिकोण को समझाया। वहीं एसजीएसयू की फैकल्टी ऑफ फ्यूचर स्किल्स की डीन डॉ. प्रीति महेश्वरी ने एसजीएसयू द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ी प्रदान की जा रही ऑफरिंग्स के संबंध में जानकारी देते हुए आईसेक्ट लर्न के एफएसए के पैकेज के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने 10वीं के बाद क्या क्या करना चाहिए जिससे छात्रों को इंडस्ट्री के लिए आवश्यक अनुभव मिले और करियर में दिक्कत न हो जैसी टिप्स एवं ट्रिक्स पर प्रकाश डाला।

अंतिम सत्र में एमपीसीएसटी के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर पंकज गोदारा द्वारा “खेल खेल में विज्ञान” विषय पर प्रेजेंटेशन दिया गया। इसके अलावा क्विज एवं प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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