भोपाल: हिंदी विश्वविद्यालय में नॉन पीएचडी को बनाया अकादमी प्रभारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-18 19:22 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अटल बिहारी वाजपई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल नई कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना मूल रूप से विषयों को हिंदी में पढ़ने के लिए एवं शोधकार्य हिंदी मैं किया जा सके परंतु यहां की विडंबना विपरीत है कि जो अकादमी विभाग विश्वविद्यालय में होता है उसका प्रभारी नॉन पीएचडी को बना दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर आए प्रोफेसर राजीव वर्मा है परंतु उनको इसका प्रभारी नहीं बनाया गया। वर्ष 2023 में विश्वविद्यालय में 13 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति हुई वह नियुक्तियां भी जांच के दायरे में है। जिनको प्रभारी बनाया गया है, उनकी नियुक्ति से पहले जांच कमेटी ने अयोग्य दायरे में रखा था।

इस संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने विधानसभा में प्रश्न भी लगाया था जिसमें उन्होंने चार नाम नियुक्ति से पहले बताए थे जिसमें दो लोगों को नियुक्ति प्रदान कर दी गई। यह प्रश्न आज भी गंभीर और अन्वेषण का विषय है वहीं पर विश्वविद्यालय में कार्यरत नॉन टीचिंग पद पर रहते हुए आवेदन के अंतिम तिथि में सहायक प्राध्यापक की योग्यता प्राप्त कर ली जिसकी सूचना न विश्वविद्यालय प्रशासन को है कि उन्होने योग्यता कैसे प्राप्त कर ली और ना ही उसकी अनुमति ली गई अकादमी शाखा का प्रभारी बनाने में न यहां यूजीसी के नियमों का पालन किया गया न ही उच्च शिक्षा विभाग की गाइड लाइन का।

अकादमी का प्रभारी की योग्यता पर प्रोफेसर शुक्ला ने बताया अकादमी प्रभारी की योग्यता शोधकार्य में काम से कम 5 साल का अनुभव तो होना ही चाहिए क्योंकि किसी विश्वविद्यालय में अकादमी विभाग स्नातक, परास्नातक और पीएचडी कार्य के पाठ्यक्रम तैयार किए जाते हैं,"यूजीसी की भी दिशा निर्देश यहीं रहते हैं पर यह विश्वविद्यालय अजब और गजब विश्वविद्यालय है नहीं यहां यूजीसी के नियमों का पालन होता है और न ही उच्च शिक्षा विभाग के नियमों का पालन होता है।

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