मध्य प्रदेश: सूचना आयोग ने श्रम न्यायालय की रिटायर्ड जज सीमा श्रीवास्तव से संबंधित जानकारी देने दिए आदेश
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मप्र राज्य सूचना आयोग ने बुधवार को एक प्रकरण की सुनवाई में देवास के श्रम न्यायालय की तत्कालीन जज सीमा श्रीवास्तव द्वारा की गई आर्थिक अनियमितता जानकारी देने के आदेश दिए है। सिंह ने रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय मप्र के जानकारी रोकने के आदेश को खारिज करते हुए सीमा श्रीवास्तव के कार्यकाल और उनसे जुड़े दस्तावेज देने के आदेश दिए है।
दरअसल देवास के राजेंद्र बहादुर ताम्रकार आरटीआई आवेदक ने श्रम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायधीश सीमा श्रीवास्तव ने बिना सक्षम स्वीकृति प्राप्त किये बगैर, अनियमित रूप से पात्रता से अधिक करीब 14 लाख 64 हजार को राशि का आहरण किया गया था। इस मामले मे हुई जांच के बाद औद्योगिक न्यायालय विभाग द्वारा 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वसूली करने की कार्यवाही की गयी है। इस प्रकरण में कुछ दस्तावेज सीमा श्रीवास्तव के कार्यालय से गायब हो गए थे। इस लापरवाही के रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय ने दोषी अधिकारी / कर्मचारियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही भी प्रस्तावित की थी।
इस जानकारी को विनीता गुप्ता वर्तमान पीठासीन अधिकारी श्रम न्यायालय देवास ने देने से मना कर दिया था। इसके बाद ताम्रकर ने जानकारी लेने के लिए प्रथम अपील रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय इंदौर के समक्ष लगाई थी। दोनों जगह से जानकारी नहीं मिलने पर ताम्रकार ने राज्य सूचना आयोग की शरण ली।
प्रकरण पर सुनवाई करते हुए आयुक्त राहुल सिंह ने पाया कि देवास श्रम न्यायालय की पीठासीन अधिकारी विनीता गुप्ता ने गलत आधार पर जानकारी को रोका था। आरटीआई एक्ट की जिन धाराओं का उल्लेख विनीता गुप्ता ने जानकारी को रोकने के लिए किया था उसके तहत जानकारी को रोका नहीं जाता है। सिंह ने यह भी पाया कि रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय इंदौर ने भी गलत आधार बनाकर की जानकारी को रोका है। सिंह ने यह स्पष्ट किया यह जानकारी एक पूर्व जज के आर्थिक अनियमितता से संबंधित ही। जिसमें कार्रवाई भी हो चुकी है। सिंह ने कहा कि श्रम न्यायालय इंदौर आरटीआई एक्ट के अधीन है एवं ये जरूरी कि श्रम न्यायालय के कार्यालय में व्यवस्था पारदर्शी हो।
श्रम न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी ने दी सफाई
देवास श्रम न्यायालय पीठासीन अधिकारी विनीता गुप्ता द्वारा गलत ढंग से जानकारी रोकने पर राहुल सिंह ने जुर्माने का नोटिस भी जारी किया था। सुनवाई के दौरान सिंह ने कहा कानून की जिस तरह से जानकारी रोकी गई है उसे ऐसा प्रतीत होता है कि विनीता गुप्ता ने अपनी ही पूर्व साथी जज सीमा श्रीवास्तव की जानकारी को जानबूझकर रोका था। विनीता के वकील ने कहा कि नियत जानकारी छुपाने की नहीं थी। इस तथ्य पर सिंह ने पेनाल्टी की कार्रवाई ड्रॉप करते हुए विनीता गुप्ता को भविष्य में सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुरूप कार्य करने के लिए सचेत किया है।