कुलपति अब कहलाएंगे कुलगुरु: हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु को कुलपति पट्टिका से लगाव, शासन के आदेश की नही परवाह
विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि कुलगुरु को इस नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। अटल बिहारी वाजपई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलगुरु को कुलपति पद से इतना लगाव है कि उन्होंने अभी तक अपनी नामपट्टिका पर कुलपति ही लिख रखा है। दरअसल मध्य प्रदेश शासन की कैबिनेट के द्वारा 3 माह पूर्व निर्णय लिया जा चुका था समस्त विश्वविद्यालय के कुलपति अब कुलगुरु नाम से जाने जाएंगे इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया था किंतु प्रेम सिंह डेहरिया ने अब तक अपनी नेम प्लेट में कुलपति ही लिख रखा है।
गौरतलब है कि प्रदेश की सरकार शिक्षा के समग्र विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने कुलपति नाम को कुलगुरु के नाम से परिभाषित करने का प्रयास किया था, लेकिन यह विश्वविद्यालय इस विषय के लिए अतिशयोक्ति बना हुआ है। जहां सरकार का निरंतर प्रयास है शिक्षकों और कुलगुरुओं का निरंतर सम्मान बना रहे और अपनी सनातनी परंपरा के अनुसार उनकाे मान सम्मान मिले पर यहां के कुलगुरु इसको धत्ता बता रहे हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि कुलगुरु को इस नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता।
वहीं सूत्रों ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस पर विद्यार्थियों शिक्षकों कर्मचारियों को मिष्ठान भी नहीं मिल पाया। बावजूद इसके बिल लगाए जाते हैं। उनका मानना है कि यह पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के नाम से विश्वविद्यालय है शायद उनके नाम को परिभाषित नहीं कर पा रहा है।