हिंदी दिवस: अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस का आयोजन, प्रो. राजीव वर्मा का विशेष उद्बोधन

  • मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजीव वर्मा ने "स्वयं की प्रतिभा, अस्तित्व और देशाभिमान का भाव जगाती है हमारी हिंदी" विषय पर उद्बोधन दिया।
  • हिंदी दिवस के महत्व को बढ़ावा देने वाले प्रमुख साहित्यकारों में हरिविष्णु कामथ, काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, और सेठ गोविंद दास शामिल थे।
  • हिंदी दिवस पर डॉ. गौरव गुप्ता ने स्वरचित कविता का वाचन किया, और कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनीता चौबे ने किया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-14 15:03 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी हिंदी दिवस मनाया गया। विश्वविद्यालय में सितंबर मास हिंदी मास के रूप में मनाया जाता है। मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजीव वर्मा ने विषय पर "स्वयं की प्रतिभा, अस्तित्व और देशाभिमान का भाव जगाती है हमारी हिन्दी" अपने उद्बोधन में बताया। पराधीनता से मुक्ति के लिए विदेशियों को बाहर कर स्वतंत्र सत्ता स्थापित करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही आवश्यक है स्वयं के विचार और भाव भाषा के आधार पर अपने जीवन, समाज और देश का विकास की ओर बढ़ना। इसी प्राथमिकता, सम्मान और स्वाभिमान का बोध कराता है हमारा यह राष्ट्रीय हिंदी दिवस।

हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिंदी भारत सरकार की आधिकारिक भाषा होगी क्योंकि भारत के अधिकांश क्षेत्रों में सर्वाधिक हिंदी ही बोली जाती है। इसलिए हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया और इस निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में जन-जन तक पहुँचाने के लिए वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी-दिवस के रूप में मनाने की अधिकृत घोषणा हुई। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व से ही स्वतंत्र भारत की राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी को प्रतिष्ठित करने का अभियान आरंभ हो गया था।

देश के जनमत की इसी भावना को हरिविष्णु कामथ, काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविंद दास, व्यौहार राजेन्द्र सिंह आदि साहित्यकारों ने अथक प्रयास किए। तब संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को अपने निर्णय की घोषणा की और भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय के अनुच्छेद 343(1) में भारत संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी राजकीय भाषा के रूप में और अंकों के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप यानि अंग्रेजी के ही स्वीकृत किए गए। इसलिये 14 सितंबर का यही दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में निर्धारित हुआ, जिसकी विधिवत घोषणा 1953 में की गई। संयोग से यह तिथि हिंदी की स्वीकार्यता के लिए अथक परिश्रम करने वाले सुप्रसिद्ध साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह की पचासवीं सालगिरह थी, इसलिए साहित्य की दुनिया में यह तिथि अतिरिक्त आनंद लेकर आई और देश भर में उत्सव आयोजन हुए। आभार कुलसचिव शैलेंद्र ने व्यक्त किया। हिंदी दिवस पर डॉ. गौरव गुप्ता ने स्वरचित कविता का वाचन किया। संचालन डॉ. अनीता चौबे ने किया। सभी अध्यापक, शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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