भोपाल: भारतीय ज्ञान परंपरा से ही मौलिक वृद्धि हो सकती है: प्रोफेसर खेमसिंह डेहरिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल में हिंदी मास के अंतर्गत बुधवार को भोपाल स्थित अटल बिहारी विश्वविद्याल में भारतीय ज्ञान परंपरा और हिंदी विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
डॉ. खेमसिंह डहेरियाअपने उद्बोधन में बताया कि किस प्रकार भारतीय ज्ञान परंपरा का उद्गम हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीयता और भारतीय ज्ञान का परचम सम्पूर्ण विश्व में लहरा रहा है। आज संपूर्ण विश्व भारतीय ज्ञान को अपना रहा है।
सारस्वत अतिथि आनंद कुमार सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा में भारतीय, ज्ञान एवं परंपरा शब्द को व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमें गेय तक पहुंचाता है और हम ज्ञान के माध्यम से ही स्वयं को जान सकते हैं। स्वयं को ही जान लेना ज्ञान है।
कुलपति ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय पूरी तरह भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर चल रहा है जिससे हिंदी का विकास होगा। इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय और दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के बीच एक समझौता ज्ञापन में हस्ताक्षर किया गया। इस समझौता ज्ञापन के तहत दोनों संस्थान एक दूसरे के संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे जो दोनों संस्थानों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।