भोपाल: आरएनटीयू के टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा नाटक “अंडोरा” की मंत्रमुग्ध प्रस्तुति

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-01 10:41 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा नाटक “अंडोरा” की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हुए। नाटक का निर्देशन अविजित सोलंकी द्वारा किया गया है। नाटक माक्स फ्रिश का है जिसके अनुवादक महेश दत हैं।

नाटक के बारे में

सन् 1961 में छपे माक्स फ्रिश के नाटक अंडोरा का मूल स्त्रोत “डेअर अंडोरानिश यूडे” नामक लघुकथा है जिसे फ्रिश ने द्वितीय विश्व युद्ध में तबाह जर्मनी की एक यात्रा के दौरान लिखा था। अंडोरा को इस बात के उदाहरण के रूप में समझा जा सकता है कि किस तरह एक समाज अपने “बाहरी लोगों“ और 'बलि के बकरों' का निर्माण करता हैं। 'अंडोरा' एक मॉडल का नाम है। एक छोटा काल्पनिक देश। नाटक की कहानी एक युवक 'आन्द्री' पर केन्द्रित है, जिसे बचपन से बताया गया है कि वो यहूदी है। नाटक की परत खुलते - खुलते अंडोरा के नागरिकों में यहूदियों के प्रति गहरी नफरत का खुलासा होता है। नाटक में आगे पता चलता है कि आन्द्री यहूदी नहीं है, पर लोगों में बढ़ती नफरत तब तक आन्द्री की हत्या का रूप ले लेती है। नाटक के बीच - बीच में पात्र कठघरे में आकर इस अपराध में अपनी बेगुनाही का दावा पेश करते है।

 

निर्देशक का परिचय

विगत 15 वर्षों से रंगकर्म में सक्रिय अविजित सोलंकी अदर थिएटर के संस्थापक सदस्य हैं। रंगकर्म की शुरुआत भोपाल में प्रसिद्ध निर्देशक अलखनन्दन के साथ। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय निर्देशकों के साथ रंगमंच का अनुभव। मप्र नाट्य विद्यालय के प्रथम बैच से एक वर्षीय डिप्लोमा एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ तीन वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा। रंगमंच एवं हिंसा’ पर शोध हेतु राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली द्वारा वर्ष 2019 में एकवर्षीय अध्येतावृत्ति एवं रंगमंच में नवाचार हेतु साहित्यिक संस्था स्पंदन द्वारा स्पंदन युवा पुरस्कार 2019।

 

बतौर निर्देशक देश भर में विभिन्न समुदायों के साथ कार्यशालाओं का संचालन एवं नाटकों का निर्देशन एवं राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में शिरकत। आपके द्वारा निर्देशित नाटकों में डाकघर, एंटिगनी, बड़े बड़े पंखों वाला बूढ़ा, काला धब्बा बादल की तरह आ रहा है, द लोअर डेप्थ्स, अधांतर आदि प्रमुख हैं।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी एसटीएफएक्स यूनिवर्सिटी (कनाडा), राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय(विस्तार विभाग), मप्र नाट्य विद्यालय में बतौर अतिथि व्याख्याता अध्यापन।

भोपाल स्थित टैगोरे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में बतौर सहायक प्राध्यापक अध्यापन एवं एकलव्य संस्था के साथ ‘शिक्षा में रंगमंच’ विषय पर शोध जारी है।

 

निर्देशकीय

टैगोर राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय में एम.ए. के दूसरे सेमेस्टर के छात्रों के साथ जब मुझे सिलेबस के तहत किसी विदेशी नाटक के मंचन के लिये कहा गया, तो मैने अंडोरा का चुनाव किया। ट्रेनिंग के लिहाज से ब्रेख्तियन शैली से छात्रों का परिचय कराना इस कार्यशाला का उद्देश्य रहा है।

साल 2023 दुनिया भर में ब्रेख्त की 125 वीं सालगिराह मना रहा है, ऐसे में अंडोरा करना ब्रेख्त को याद करने का एक मौका भी है।

एक निर्देशक और प्रशिक्षक के रूप में एक फिजिकल स्पेस में एक देश के निर्माण की कल्पना खोज का बीज बिन्दु रही है। ईंटे, बालू, गिट्टी जैसी निर्माण सामग्री ने अपनी रंगभाषा और व्यवहार पैदा किया है।

जो अभिनेता को चुनौती देने के साथ - साथ सहयोग भी देता है। इस पूरी प्रस्तुति परक कार्यशाला का लक्ष्य छात्रों को नाटक बनाने की प्रस्तुति प्रक्रिया से अवगत कराना भी रहा है, अतः रचना प्रक्रिया भी सहभागिता आधारित रही है। जिसमें प्रस्तुति विषयक कई निर्णय छात्रों द्वारा लिए गए हैं।

 

मंच पर

आंद्री = मार्क फर्नान्डिस, उदय भान यादव

बार्बलिन = किरन साहू, पूर्वी रायकवार

पिता = हैदर अली, ऋषभ कुमार चतुर्वेदी

माँ = रश्मि कुकरेती

सेन्योरा = साक्षी शुक्ला

फौजी- 1 = अमन जैन/सूरज मिश्रा

फौजी -2 = सइयदे आलम

फौजी -3 = अनिमेष मिश्रा

डॉक्टर = अमित कुमार गुप्ता

पादरी = मनोज कुमार यादव

सराय मालिक = राजा चौधरी

बढ़ई = प्रशांत कुमार

कारीगर = तरुण ठाकुर

जाँच अधिकारी = पूर्वी रायकवार किरन साहू

मूर्ख आदमी = उदय भान यादव, मार्क फर्नान्डिस

मंच परे

मंच निर्माण = हैदर अली, तरुण ठाकुर, पूर्वी रायकवार

मंच प्रबंधक = अमित कुमार गुप्ता

रुपसज्जा = प्रथम वर्ष छात्र

वेश - भूषा = किरन साहू, साक्षी शुक्ला, रश्मि कुकरेती

प्रॉपर्टी व्यवस्था = ऋषभ चतुर्वेदी, अमन जैन

संगीत सहायक - रजत ग्रोवर

प्रोडक्षन- बादल सिंह

संगीत सहायक - रजत ग्रोवर

पोस्टर एवं ट्रैलर - अस्फिया

डाक्यूमेन्टेषन - निखिल बंसल, रूपेन्द्र क्षीरसागर, लखन अहिरवार

निर्देषन सहयोग - निखिल बंसल

अनुवाद- महेश दत्त

मूल नाटक- माक्स फ्रिश

प्रकाश व्यवस्था = प्रवीण नामदेव, बादल सिंह

साऊंड डिजाइन- आक्षित

परिकल्पना एवं निर्देशन = अविजित सोलंकी

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