खास मुलाकात: उज्जैन में 2028 को होने वाले सिंहस्थ के लिए केंद्र से विशेष आर्थिक सहयोग की अपील
- उज्जैन में 2028 को होने वाला है सिंहस्थ
- मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने केंद्र से विशेष आर्थिक सहयोग की अपील
- केन-बेतवा परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया
- जुलाई के पहले सप्ताह से आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय का स्वच्छ सर्वेक्षण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बुधवार को यहां केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल से भेंट कर सिंचाई परियोजना और जल संरक्षण कार्यक्रमों पर चर्चा की। इस अवसर पर राज्य मंत्री वी सोमन्ना और राजभूषण चौधरी भी उपस्थित थे। श्रम शक्ति भवन में हुई बैठक में केन-बेतवा परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और परियोजना के क्रियान्वयन से जुड़ी समस्याओं की जानकारी दी। जल परियोजना के अतिरिक्त उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ के लिए केंद्र सरकार से विशेष आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया। इस अवसर पर केंद्र एवं राज्य के वरिष्ठ भी उपस्थित थे।
जुलाई के पहले सप्ताह से आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय का स्वच्छ सर्वेक्षण
उधर केन्द्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय का स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 5 जुलाई से शुरु हो रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण का यह 9वां संस्करण है। चार तिमाहियों में आयोजित होने वाले इस सर्वेक्षण का तीसरा चरण बल्क वेस्ट जेनरेटर (बीडब्ल्यूजी) में अपशिष्ट प्रबंधन की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के मूल्यांकन पर केंद्रित होगा। पहली दो तिमाहियों में शहर की सफाई के विभिन्न मापदंडों पर नागरिकों से टेलिफोन पर प्रतिक्रिया शामिल है। तीसरी तिमाही में प्रसंस्करण सुविधाओं के मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जबकि चौथी तिमाही में सभी संकेतकों पर क्षेत्र मूल्यांकन होगा। चार तिमाहियों में किए जाने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की चौथी तिमाही सितंबर-अक्टूबर, 2024 के आसपास शुरु होने की उम्मीद है।
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अनुसार देश के शहरों में प्रतिदिन लगभग 150,000 टन कचरा उत्पन्न होता है। बढ़ते शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव के कारण नगरपालिका के ठोस कचरे में काफी वृद्धि दिखाई दे रही है। मंत्रालय के अनुसार अनुमान है कि शहर में लगभग 30 से 40 प्रतिशत कचरा बीडब्ल्यूजी द्वारा उत्पन्न होता है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 बीडब्ल्यूजी को उन संस्थाओं के रूप में परिभाषित करता है जिनकी औसत अपशिष्ट उत्पादन दर प्रतिदिन 100 किलोग्राम से अधिक है, जिसमें सभी प्रकार के अपशिष्ट शामिल हैं।