मनमानी: अमरावती में 4 बड़े निजी बैंकों ने एक भी किसान को नहीं दिया फसल कर्ज

अमरावती में 4 बड़े निजी बैंकों ने एक भी किसान को नहीं दिया फसल कर्ज
  • ढाई लाख में से 80 हजार को ही मिला लाभ
  • खेती-किसानी के परेशान हो रहे हैं किसान
  • बैंकों की मनमानी पर नहीं है शासन-प्रशासन का नियंत्रण

डिजिटल डेस्क, अमरावती । खरीफ की बुआई में किसान जुट गए हैं। लेकिन जिले की कई बड़ी निजी बैंक के फसल कर्ज वितरण का टारगेट ज़ीरो से आगे ही नहीं बढ़ा है। जिले में जिला को-ऑपरेटिव बैंक, कैथोलिक सीरियन व इंडसइंड बैंक ने जिले में एक भी किसान को खरीफ फसल कर्ज नहीं दिया है। उसी प्रकार एक्सिस बैंक,आईसीआईसीआई बैंक ने भी लक्षित फसल कर्ज टारगेट पूरा करने में भारी कंजूसी दिखाई है। जिला उपनिबंधक कार्यालय से प्राप्त 21 जून तक के फसल कर्ज वितरण के ब्योरे से यह हकीकत सामने आई है।

जिले में बुआई योग्य बारिश बरसने से हर्षित किसान बुआई में जुट गए हैं। वहीं दूसरी ओर कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्हें बुआई के मुहाने पर भी फसल कर्ज पाने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। समय पर कर्ज नहीं मिलने से परेशान किसानों का साहूकारों ने भी अवैध फायदा उठाना शुरू कर किया है। वहीं बैंकों द्वारा भी किसानों को खरीफ कर्ज देने में आनाकानी साफ नजर आ रही है। जिले में खरीप फसल के लिए पात्र किसानों की संख्या ढाई लाख हैं, लेकिन इनमें से मात्र हजार 384 किसानों को ही फसल कर्ज मिल पाया। जिले की बैंकों को कुल 1600 करोड़ रुपयों के खरीफ फसल कर्ज वितरण का लक्ष्य दिया गया है। इसमें से अब तक मात्र 1001.37 करोड़ रुपए का ही कर्ज बंटा है। जिला उपनिबंधक कार्यालय में दर्ज जानकारी अनुसार अब तक जिले में 63 प्रतिशत फसल कर्ज का वितरण हुआ है। पहले ही लगातार आसमानी व सुलतानी संकट से जूझ रहे किसानों को रबी सीजन में भारी फसल क्षति का सामना करना पड़ा है। जिससे इस बार खरीफ के लिए अधिकांश किसान फसल कर्ज पर ही निर्भर हंै। इस वर्ष लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण भी किसानों को समय पर कर्ज मिलने में परेशानी हुई।

निजी बैंकों पर नहीं अंकुश : जिला अग्रणी बैंक के अनुसार जिले में कुल 21 विभिन्न सरकारी तथा निजी बैंकों की शाखाएं हैं। इन सभी सरकारी और निजी बैंकों को खरीफ फसल कर्ज वितरण के लिए बैंक वार टारगेट दिया गया है। खरीफ का मौसम शुरू होने से पहले ही सभी पात्र किसानों को फसल कर्ज वितरित करने के निर्देश सभी संबंधित बैंकों को शासन स्तर पर दिए गए हैं। लेकिन निजी बैंकों पर सरकार का प्रभावी अंकुश नहीं होने से ज्यादा से ज्यादा किसानों को कर्ज देने से बचने की कोशिश इन निजी बैंकों द्वारा की जा रही है। निजी बैंकों का कृषि लोन के प्रति रवैया उदासीन है। कुछ किसान कर्ज नहीं चुकाते, इसलिए भी यह निजी बैंक फसल कर्ज देने में आनाकानी करते हैं। यही वजह है कि इस वर्ष 1600 करोड़ रुपए खरीफ फसल कर्ज का टारगेट पूरा करने का समय ख़त्म होकर भी अब तक मात्र 63 प्रतिशत फसल कर्ज बैंकों ने बांटा हैं। शेष किसान अभी भी कर्ज के लिए बैंकों के या फिर साहूकारों के चक्कर लगा रहे हैं।

Created On :   26 Jun 2024 11:12 AM GMT

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