Amrawati News: अमरावती जिले में चिकन पॉक्स का प्रकोप 7 दिन में 86 बच्चे आए चपेट में

अमरावती जिले में चिकन पॉक्स का प्रकोप  7 दिन में 86 बच्चे आए चपेट में
  • संक्रमण फैलने से लगातार बढ़ रहे मरीज
  • 5 से 15 वर्ष के बच्चे हो रहे ग्रसित
  • लगभग 7 दिनों तक रहता है चिकन पॉक्स का असर

Amrawati News चिकन पॉक्स विषाणु के शिकार बच्चों के शरीर पर फोड़े-फुंसियों जैसे निशान पड़ने लगते हैं। यह संक्रमण हवा और खांसी के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में पहुंच जाता है। इन दिनों जिले में चिकन पॉक्स की बीमारी तेजी से फैल रही है। पिछले एक सप्ताह में 86 बच्चों को चिकन पॉक्स से पीड़ित होने के कारण जिला सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकन पॉक्स के लक्षण दो दिन में पूरी तरह से दिखाई देते हैं। जिससे पूरे शरीर पर चिकन पॉक्स का असर दिखाई देता है। इस बीमारी में बच्चों को बुखार, सर्दी-खांसी के लक्षण भी दिखाई देते हैं। एक सप्ताह में उपचार के लिए दाखिल हुए चिकन पॉक्स के मरीजों में 5 वर्ष से 15 वर्ष आयु के बच्चों की संख्या अधिक है। चिकन पॉक्स का असर लगभग 7 दिनों तक रहता है। जिसके लिए समय पर उपचार करना भी आवश्यक है।

सर्दी-खांसी से शुरुआत : डॉक्टरों का मानना है कि हर्पिस वायरस, जो वेरिसेला-ज़ोस्टर वायरस का ही एक प्रकार है। चिकन पॉक्स का कारण बनता है। यही वायरस एडल्ट्स में दाग-धब्बों का कारण बन सकता है। छाले और उनके तरल पदार्थ को छूने से चिकन पॉक्स हो सकता है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति लगातार छींक और खांस रहा है तो वो भी इस वायरस से संक्रमित है। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस वायरस की चपेट में आते हैं। विशेष तौर से चिकन पॉक्स दोबारा भी हो सकता है। जिला अस्पताल में फिलहाल 8 मरीज उपचार ले रहे हैं।

स्वतंत्र आइसोलेशन का प्रबंध : जिला सरकारी अस्पताल (इर्विन) में वार्ड क्रमांक 9 में स्वतंत्र आइसोलेशन का प्रबंध किया गया है। क्योंकि चिकन पॉक्स बीमारी संसर्गजन्य है। इर्विन में चार बाल रोग विशेषज्ञ कार्यरत हैं। चिकन पॉक्स के रोगी बच्चों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। इस रोग से ग्रस्त बच्चों को भीड़-भाड़ से दूर रहना जरूरी है। -डॉ. दिलीप सौंदले, जिला शल्य चिकित्सक

जल्द उपचार जरूरी : चिकन पॉक्स के रोगी को जल्द उपचार जरूरी है। अन्यथा शरीर पर दाग-धब्बे पड़ते है। सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। हालांकि चिकन पॉक्स पर काबू के लिए प्राइवेट में वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन शासकीय तौर पर वैक्सीन की कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकतर बच्चों को यह बीमारी जकड़ती हैं। इसके इलाज के लिए स्वयंत्र रूप से आइसोलेशन की व्यवस्था जरूरी है । -डॉ. संदीप दानखड़े, बाल रोग विशेषज्ञ

Created On :   15 Oct 2024 9:49 AM GMT

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