एअर इंडिया की घर वापसी पर सरकार ने लगाई मुहर, अब रतन टाटा संभालेंगे कमान
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एअर इंडिया की घर वापिसी की बीते दिनों तमाम अटकलों के बाद आखिरकार सरकार ने अब मुहर लगा दी है। कर्ज में जूझ रही एअर इंडिया को बेचने की सरकार की कोशिश कामयाब रही। साथ ही सरकार ने एअर इंडिया के लिए बोली के विजेता का ऐलान कर दिया। जिसके अनुसार, करीब 68 साल के बाद एक बार फिर से एअर इंडिया की कमान टाटा ग्रुप के हाथ में होगी।
कंपनी ने इसके लिए सबसे बड़ी बोली लगाई। टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की विजेता बोली लगाई।आपको बता दें कि, काफी समय से सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को बेचने की कोशिशें हो रही थीं। टाटा संस ने 15 सितंबर को एअर इंडिया को खरीदने के लिए अपनी फाइनल बोली लगाई थी।
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दीपम ने दी जानकारी
एअर इंडिया के निजीकरण को लेकर यह जानकारी डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट यानी दीपम ने प्रेस काॅन्फ्रेंस करके दी है। दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने जानकारी देते हुए कहा कि कई बार बोली के लिए आवेदन मांगे गए, लेकिन फाइनली सितंबर में दो बिडर के नाम फाइनल हुए। एअर इंडिया के सभी कर्मचारियों का ध्यान रखा जाएगा। उन पर इसका असर नहीं होगा।
एअर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (AISAM) पैनल ने एयर इंडिया की फाइनेंशियल बोली पर फैसला लिया है। इस पैनल में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई महत्वपूर्ण मंत्री और अधिकारी शामिल हैं।
एयर इंडिया की शुरुआत
मालूम हो कि, एअर इंडिया को 1932 में टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था। टाटा समूह के जे.आर.डी. टाटा इसके फाउंडर थे और इस एयरलाइन का नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया था। इस एयरलाइन ने 1938 तक अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया और आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी।
2007 से एयरइंडिया घाटे में चल रही है, जब इसका विलय घरेलू परिचालक इंडियन एयरलाइंस के साथ किया गया था। बात करें वर्तमान की तो, एअर इंडिया देश में 4400 और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को कंट्रोल करती है।
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अभिरुचि पत्र में दी थी जानकारी
डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (दीपम) द्वारा जनवरी 2020 में जारी अभिरुचि पत्र में कहा गया है कि एयरलाइन पर 31 मार्च, 2019 तक कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया था। नए खरीदार को 23,286।5 करोड़ रुपए का कर्ज वहन करना होगा। शेष कर्ज को एक स्पेशल पर्पज व्हीकल एयर इंडिया असेट होल्डिंग लिमिटेड को ट्रांसफर किया जाएगा।