वर्ल्ड रैंकिंग में फिर से टॉप-25 में जगह बनाना चाहते हैं राष्ट्रीय खेलों के बैडमिंटन चैंपियन बी साई प्रणीत
बैडमिंटन वर्ल्ड रैंकिंग में फिर से टॉप-25 में जगह बनाना चाहते हैं राष्ट्रीय खेलों के बैडमिंटन चैंपियन बी साई प्रणीत
- वल्र्ड रैंकिंग में फिर से टॉप-25 में जगह बनाना चाहते हैं राष्ट्रीय खेलों के बैडमिंटन चैंपियन बी साई प्रणीत
डिजिटल डेस्क, सूरत। 36वें राष्ट्रीय खेलों में गुरुवार को यहां पुरुष बैडमिंटन में एकल वर्ग खिताब जीतने वाले बी साई प्रणीत के लिए 2019 का साल एक महत्वपूर्ण साल रहा था। 2017 के बाद से बैडमिंटन में कुछ बड़े नामों को लगातार शिकस्त देने के बाद 2017 में सिंगापुर सुपर सीरीज का खिताब और फिर 2019 में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर शीर्ष स्थान हासिल किया था।
ऐसा लग रहा था कि वह कदम दर कदम दुनिया को जीत लेगें। लेकिन फिर कोविड महामामारी की वजह से भारत समेत पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगा दिया गया। कोविड महामारी के दौरान सबकुछ ठहर सा गया और इनमें साई प्रणीत का करियर भी शामिल था।
बैडमिंटन में अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीतने के बाद तेलंगाना के इस शटलर ने कहा, 2017 के बाद से मेरा करियर शिखर पर था। मैं अपने खेल में टॉप पर था और आत्मविश्वास से भी भरपूर था। लेकिन दुर्भाग्य से, लॉकडाउन लागू हो गया और ये मेरे लिए बहुत बड़ी आपदा साबित हुई।
उन्होंने अपनी रैंकिंग में गिरावट के बारे में खुलकर बात की और कहा कि लॉकडाउन के दौरान इस पर काफी असर पड़ा। उन्होंने कहा, मेरी ट्रेनिंग रुक गई। मैं स्टेडियम जाता था लेकिन मेरा कोई साथी नहीं होता। मैं असमंजस की स्थिति में था। मुझे नहीं पता था कि मुझे अभ्यास करना चाहिए या सुरक्षित खेलना चाहिए। मैंने घर बैठे ही पूरा सत्र समाप्त कर दिया।
साई प्रणीत ने न केवल अपनी लय खो दी, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी गहरा झटका लगा। इन सबके बाद चोट के चलते भी उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा, मैं टोक्यो ओलंपिक के लिए ठीक से ना तो अपनी प्लानिंग कर सका और ना ही ठीक से ट्रेनिंग कर सका। उसके बाद, अचानक ओवरलोड ट्रेनिंग के चलते मुझे चोटें भी लगीं।
30 साल के प्रतिभाशाली बी साई प्रणीत का मानना है कि अब वह अपनी लय में वापस आ गए हैं। इससे उन्हें मदद मिली होगी कि उन्होंने टीम चैंपियनशिप फाइनल में केरल के एचएस प्रणय को हराया। प्रणय वर्तमान में विश्व टूर रैंकिंग में लीड कर रहे हैं। इसके अलावा पुरुष एकल वर्ग के फाइनल में, उन्होंने कर्नाटक के मिथुन मंजूनाथ को हराकर खिताब पर अपना कब्जा जमाया। उन्होंने कहा, यह सब आत्म-विश्वास और आत्मविश्वास के बारे में है। राष्ट्रीय खेलों में प्रणय पर जीत मेरे लिए आगे बढ़ने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन होगा।
साई प्रणीत ने हालांकि, इस बात को खारिज कर दिया कि अब वह अपनी लय खो रहे हैं। उन्होंने घोषणा करते हुए कि उनके पास अभी भी बैडमिंटन में 2-3 साल का खेल बाकी है। भारतीय खिलाड़ी ने कहा, मेरी प्राथमिकता जल्द से जल्द वल्र्ड रैंकिंग में टॉप-25 वापस जगह बनानी है। मुझे अपनी फिटनेस पर काम करना है ताकि मैं कई टूर्नामेंट खेल सकूं। मेरे परिवार ने मेरी बहुत मदद की है और यह मुझे फिर से खेलने के लिए प्रेरित करता है। जब मैं अपने बेटे को देखता हूं, तो मैं राहत और खुशी महसूस करता हूं।
सोर्सः आईएएनएस
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