फ्लैक्स फ्यूल बाइक: रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 अब होगी ईको-फ्रेंडली, पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से भरेगी रफ्तार

  • इसकी डिजाइन में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है
  • क्लासिक 350 पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण चलेगी
  • पावर आउटपुट 20 एचपी और 27 एनएम टॉर्क होगा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-07 06:19 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। चेन्नई स्थित पॉपुलर मोटरसाइकिल निर्माता रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) अपनी सबसे पसंदीदा क्लासिक 350 मॉडल का एक नया वेरिएंट पेश करने की योजना बना रही है। हाल ही में कंपनी ने इसे नई दिल्ली में भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो में प्रदर्शित किया है। इसे रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 'फ्लेक्स फ्यूल' नाम दिया गया है। हालांकि, इसकी डिजाइन में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। लेकिन फ्लेक्स फ्यूल मॉडल अलग-अलग रंगों में उपलब्ध होगा, जिसमें रेड और आकर्षक हरा रंग ईंधन टैंक के अलावा सीट के निचले हिस्से पर देखने को मिला है। वहीं सीट और वायर-स्पोक पहियों का कलर ब्लैक रखा गया है।

रॉयल एनफील्ड की फ्लैक्स फ्यूल बाइक क्लासिक 350 (Classic 350) पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण चलेगी। कंपनी के अनुसार, इसका इंजन 85% इथेनॉल मिश्रण का उपयोग कर सकता है और इसका पावर आउटपुट 20 एचपी और 27 एनएम टॉर्क है। आइए जानते हैं इस बाइक के बारे में...

कब होगी लॉन्च

मोटरसाइकिल निर्माता ने अभी तक इस नए मॉडल के लिए किसी लॉन्च तिथि की घोषणा नहीं की है, लेकिन इसके अगले साल तक इसके भारतीय सड़कों पर आने की उम्मीद है। गौरतलब है कि भारत में पहले से ही ऐसे कई मॉडल हैं जो E20 पेट्रोल पर चल सकते हैं, जिसमें 20% इथेनॉल मिश्रण होता है।

फ्लैक्स फ्यूल इंजन

कंपनी ने अपनी फ्लैक्स फ्यूल क्लासिक 350 के इंजन के बारे में अधिक​ जानकारी नहीं दी है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका 350cc इंजन पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण का उपयोग कर सकता है। वहीं कंपनी द्वारा शेयर की गई एक स्पेक शीट के अनुसार यह मॉडल 85 प्रतिशत तक इथेनॉल मिश्रण पर चलने में सक्षम होगा। यह इंजन 20 एचपी की पॉवर और 27 एनएम का पीक टॉर्क पैदा करने में सक्षम होगा। इसका इंजन 5-स्पीड गियरबॉक्स से लैस होगा।

क्या होता है फ्लैक्स फ्यूल

फ्लेक्स फ्यूल को अल्कोहल बेस फ्यूल के नाम से भी जानते हैं। इस तरह के ईंधन को पेट्रोल, इथेनॉल या मेथनॉल के मिश्रण से बनाया जाता है। इसे गन्ने या मक्का जैसे नवीकरणीय उत्पादों से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए स्टार्च और शुगर फर्मेंटेशन होता है। भारत में गन्ने की फसल बहुत बड़ी मात्रा में होती है इसलिए ऐसे ईंधन को बड़े स्तर पर बनाने में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। सटीक इथेनॉल सामग्री को उपलब्धता और नियमों के आधार पर एडजेस्ट किया जा सकता है।

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