मुर्गे के पक्ष में आया कोर्ट का फैसला, समर्थन में चला 'सेव मौरिस' अभियान
मुर्गे के पक्ष में आया कोर्ट का फैसला, समर्थन में चला 'सेव मौरिस' अभियान
डिजिटल डेस्क। पहले के दौर में सुबह के समय लोग मुर्गे की बांग सुनकर उठा करते थे, क्योंकि यह एक तरह से कुदरती अलार्म का काम करता है, लेकिन आज के समय में मुर्गे की यही बांग लोगों की परेशानी का कारण बन जाती है। कई बार लोग इसे नजर-अंदाज कर देते हैं तो कहीं लोग इसे लेकर कोर्ट केस भी कर देते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया हुआ फ्रांस में भी, जहां एक दंपती ने मुर्गे के बोलने पर उसके खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज करा दिया।
जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला मुर्गे के पक्ष में सुनाया। मौरिस नाम के इस मुर्गे पर छिड़ी बहस ने लाखों लोगों को एकजुट कर दिया और लोगों ने उसके समर्थन में 'सेव मौरिस' अभियान तक चला दिया। जब कोर्ट का फैसला मुर्गे के पक्ष में हुआ तो उसके बाद क्रोनी मुर्गे की मालकिन ने बड़ी खुशी के साथ कहा कि यह उनके जैसे सभी लोगों की जीत है।
मुर्गे की बांग का केस शहरी और ग्रामीण लोगों में चर्चा का कारण बन गया, शहरी लोगों का कहना है कि मुर्गे की आवाज से उनकी नींद खराब होती है , तो वहीं ध्वनि प्रदूषण भी होता है। दूसरी तरफ ग्रामीण लोगों को इससे कोई परहेज नहीं है।
बीते गुरुवार केस के फैसले में मौरिस यानी मुर्गा ही जीता, कोर्ट में हुए फैसले के मुताबिक इस पक्षी का बोलना इसका अधिकार है। बता दें कि मुर्गा फ्रांस का राष्ट्रीय प्रतीक भी है, जिसके कारण मुर्गे की बांग राष्ट्रीय स्तर पर बहस का मुद्दा बन गई।
दरअसल फ्रांस में क्रोनी फेस्सयू नाम की महिला ने अपने घर में एक मुर्गा पाल रखा था, जिसका नाम मौरिस है। क्रोनी के पड़ोस में एक दंपती लुइस बिरन और उनकी पत्नी छुट्टियां बिताने के लिए आए थे, जहां वे रोज-रोज मुर्गे की आवाज से परेशान हो गए थे क्योंकि मुर्गे के शोर करने से उनकी नींद खराब हो जाती थी। और इसी कारण दंपती ने मैरिस पर कोर्ट में केस कर दिया।