30 सालों से खड़े इस विमान को मालिक की बेरुखी ने बना दिया अनाथ, ऐसी है इसकी दिलचस्प कहानी
30 सालों से खड़े इस विमान को मालिक की बेरुखी ने बना दिया अनाथ, ऐसी है इसकी दिलचस्प कहानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अमेरिका की कंपनी का एक ऐसा विमान जो ताकतवर होने के साथ खूबसूरत भी था। इन खूबियों के चलते कंपनी को भी इस विमान पर नाज था, लेकिन साल 1991 में लैंड होने वाला ये जहाज दोबारा कभी अपना देश वापस नहीं लौटा। यहां हम बात कर रहे हैं "बोइंग 720" (Boeing 720) जहाज की, जिसे कानूनी उलझन और मालिक की बेरुखी ने अनाथ बना दिया। पिछले 30 वर्ष से नागपुर में खड़ा यह विमान अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है और फिलहाल यह प्रेस क्लब के अधिकार में है।
दरअसल, इस जहाज को इंजन में खराबी के कारण नागपुर विमानतल पर 21 जुलाई 1991 को उतारा गया था। इसके बाद न इसके मालिक ने सुध ली न ही विमानतल प्राधिकरण इसका उद्धार कर पाया। ऐसे में जवानी में ही इस जहाज को उम्रदराज करार दे दिया गया। आइए जानते हैं इसकी दिलचस्व कहानी के बारे में...
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कुछ ऐसी है इस जहाज की कहानी
कम दूरी की उड़ानों के लिए बोइंग 720 ने नवंबर 1959 में हवाई यात्रा की शुरुआत की थी। यह विमान 21 जुलाई 1991 को नागपुर के आसमान में हिचकोले खाने लगा। विमान के इंजन में खराबी के कारण पायलट ने विमानतल प्रशासन से इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगी। विमानतल प्रशासन की अनुमति मिलने पर विमान की इमरजेंसी लैंडिंग की गई, लेकिन इसके बाद इंजन में आई खराबी को दुरुस्त करने का प्रयास ही नहीं किया।
आमतौर पर विमान के इंजन में आई खराबी की जांच के लिए टीम भेजी जाती है, लेकिन इस विमान को देखने तक कोई नहीं आया। यह विमान कॉन्टिनेंटल एविएशन प्रा.लि. का था। 1959 में बने इस विमान को सितंबर 2010 में रिटायर घोषित कर दिया गया और लगभग अपनी आधी उम्र यह विमान नागपुर विमानतल के रनवे पर ही खड़ा रहा।
वर्ष 2015 में इसे रनवे से 150 मीटर दूर हटाकर रखा गया। विमानतल प्रशासन ने कॉन्टिनेंटल एविएशन प्रा.लि. से संपर्क कर कहा कि विमान ले जाएं। विमानतल प्रशासन ने कंपनी से पार्किंग शुल्क की मांग की। 24 साल का पार्किंग शुल्क लाखों में था। ऐसे में कंपनी ने शुल्क अदा कर विमान ले जाने से हाथ झटक दिए। इसके बाद मामला मुंबई हाईकोर्ट में पहुंचा।
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इसके बाद भी विमान को नागपुर विमानतल से हटाने पर निर्णय नहीं हो सका। डीजीसी ने विमानतल प्रबंधन को विमान हटाने के निर्देश दिए। साथ ही निर्देश का पालन न करने पर विमानतल संचालक को लाइसेंस रद्द करने की धमकी दी, जिसके बाद 2015 में विमान को रनवे से 150 मीटर दूर हटाया गया। इसके लिए विमान के टायरों का एक सेट मंगवाया गया। करीब 30 मिनट में विमानतल प्रशासन ने इस विमान को रनवे से तो हटा दिया, लेकिन अब भी यह विमान विमानतल परिसर में ही खड़ा है।