उत्तराखंड में मिली उड़ने वाली गिलहरियों की पांच प्रजातियां, पांचों है एक दूसरे से भिन्न
अजब अजब उत्तराखंड में मिली उड़ने वाली गिलहरियों की पांच प्रजातियां, पांचों है एक दूसरे से भिन्न
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धरती पर कई प्रकार के जीव पाय जाते हैं। जिसमें से कुछ खुंखार और डरावने होते हैं, वहीं देखा जाए तो कुछ बहुत प्यारे और नटखट जीव भी हमारे आस पास मौजूद हैं। इनमें से जीवों की कुछ प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। जिनके संरक्षण बेहद जरूरी हैं। आप सभी ने गिलहरी को तो देखा ही होगा। जिससे जुड़ी हुई कविताएं भी हम ने बचपन में पढ़ी हैं। यह देखने में बहुत पयारी लगती है और इसकी पूंछ रेशम की तरह होती है।
आपने गिलहरी को फुदक-फुदक कर चलते तो देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी उड़ती हुई गिलहरी के बारे में सुना या देखा है? शायद नहीं सुना होगा। लेकिन धरती पर ऐसी गिलहरियों की प्रजातियां पायी जाती है, जो उड़ सकती है।
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हाल ही में उत्तराखंड के जंगलों में ऐसी ही उड़ने वाली गिलहरियां मिली हैं। उत्तराखंड वन विभाग में रिसर्च विंग के चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक उड़ने वाली गिलहरियों पर करीब दो साल तक स्टडी के बाद पता चला है कि उत्तराखंड में गिलहरी की एक नही दो नहीं बल्कि पांच प्रजातियां मौजूद है।
उत्तराखंड वन विभाग के रिसर्च विंग का उद्देश्य ये पता करना है था कि उत्तराखंड में कितने प्रकार की उड़ने वाली गिलहरियां पाई जाती हैं। साथ ही वो कैसे रहती हैं, उन्हें कितना खतरा है, उन्हें बचाने के लिए क्या किया जा सकता है, ऐसी ही कई बातों पर स्टडी हुई है। उत्तराखंड में गिलहरीयों की जो उड़ने वाली प्रजातियां मिली हैं।
इन प्रजातियों के नाम कुछ इस प्रकार हैं- रेड जायंट, व्हाइट बेलीड, इंडियन जायंट, वूली, स्मॉल कश्मीरी फ्लाइंग स्किवरल है। ये गिलहरियां अलग-अलग इकोसिस्टम में रहती हैं। साथ ही इनके रहने, खान-पान और लंबी छंलाग यानी उड़ान में थोड़ा-थोड़ा बदलाव है।
चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के मुताबिक दो साल तक चली स्टडी को उत्तराखंड के 6 अलग-अलग जगहों में पूरा किया गया है। ये हैं- उत्तरकाशी, रानीखेत, देवप्रयाग, चकराता और पिथौरागढ़ जिला। उड़ने वाली गिलहरी के अगले और पिछले पैर के बीच हल्के और पतले मांसपेशियों की झिल्ली जैसी होती है।
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इस झिल्ली को ये गिलहरियां तब खोलती हैं जब इन्हें एक पेड़ से नीचे कूदना होता या फिर ऊंचाई से छलांग लगानी होती है। सबसे बड़ी बात कि इन झिल्लियों की वजह से गिलहरियां हवा में उड़ते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती हैं।