शादियां करने से कतरा रहे इस देश के युवा, जन्म दर में भी आई रिकार्ड कमी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक अति प्रतिस्पर्धी समाज भी खुद के लिए कई प्रकार की मुसीबतें खड़ी कर सकता है। आज के सिनेरियो में इसका सबसे बड़ा उदाहरण दक्षिण कोरिया को कहा जा सकता है। जहां समाज इतना प्रतिस्पर्धी हो गया है कि लोग वहां शादी करने और बच्चे पैदा करने से भी कतराने लगे है। आलम कुछ ऐसा है कि एक सरकारी एजेंसी स्टैटिस्टिक्स कोरिया के तरफ से जारी किए गए आंकड़ो से पता चलता है कि बीते एक दशक में दक्षिण कोरिया में होने वाली शादियों में 40 फीसदी की गिरावट आई है।
2012 में जहां शादी करने वाले जोड़ो की संख्या 3 लाख 27 हजार थी, तो वहीं पिछले साल यह आंकड़ा मात्र 1 लाख 92 हजार रह गया। साल 1970 से दक्षिण कोरियाई सरकार द्वारा शादियों का रिकार्ड रखना शुरू किया गया। तब से लेकर अब तक रिकार्ड किेए आंकड़ो में यह सबसे कम है। इसके अलावा शादी करने वाले लोगों की औसत उम्र पर गौर किया जाए तो हम पाएंगे कि पुरूषों कि शादी करने की औसत उम्र 33.7 साल है तो वहीं औरतों में यह आकड़ा 31.3 साल है। इन आकड़ो में भी रिकार्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है जो कि चिंता का विषय है।
इन सब के अलावा दक्षिण कोरिया में बच्चों के जन्म-दर में भी अच्छी खासी गिरावट देखी जा सकती है। पिछले साल सिर्फ 2 लाख 49 हजार बच्चो ने जन्म लिया। हर साल इस आंकड़े में गिरावट देखी जा सकती है। पिछले साल देश में प्रति महिला 0.78 बच्चों को जन्म दिया, जो कि विश्व स्तर पर सबसे कम है। दक्षिण कोरियाई सरकार की तरफ से जन्म दर में इजाफा लाने के लिए साल 2006 में 213 अरब डॉलर खर्च किए गए थे लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। खबरों की माने तो ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2067 तक देश की आबादी वर्तमान में 5 करोड़ 20 लाख से घटकर 3 करोड़ 90 लाख रह जाएगी।
विशेषज्ञों की मानें तो इस घटते शादी और जन्म दर का सबसे बड़ा कारण दक्षिण कोरियाई युवाओं का प्रतिस्पर्धी स्वभाव और बच्चों के पालन-पोषण करने और घर खरीदने में होने वाली कठिनाई है। ऐसी ही हालत एक और एशियाई देश जापान की है जहां का जन्म दर आजतक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। साल 2022 में जापान में सिर्फ 7 लाख 73 हजार बच्चे पैदा हुए। वहां के पीएम फुमियो किशिदा ने बच्चे पैदा करने का प्रोत्साहन देने के लिए कई सरकारी स्कीमें शुरू की है। इन देशो के इस बढ़ती समस्या पर गौर करने की जरूरत है नहीं तो आगे चलकर युवाओं की वर्कफोर्स की कमी का सामना करना पड़ सकता है। जिससे इनकी विकास दर भी जाहिर तौर पर कम होगी।
Created On :   18 March 2023 9:13 PM IST