कचरा बीनने वाले शख्स का बेटा बनेगा डॉक्टर, जोधपुर एम्स में हुआ एडमिशन
डिजिटल डेस्क, देवास। मध्य प्रदेश के देवास से एक कचरा बीनने वाले शख्स के बेटे, आशाराम चौधरी का सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए हुआ है। आशाराम चौधरी की सफलता से उनके घर में खुशी का माहौल है। आशाराम ने डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के लिए जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन ले लिया है। 23 जुलाई से उनकी एमबीबीएस की क्लासेस शरू हो जाएगी। इसके अलावा आशाराम किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना में रिसर्च साइंटिस्ट भी चुने जा चुके हैं। जर्मनी के सिल्वर जोन फाउंडेशन संस्थान में भी उनका चयन हो चुका है, यहां उन्होंने 332वीं इंटरनेशनल रैंक हासिल की।
Dewas: A ragpicker"s son, Asharam Choudhary, gets selected at Jodhpur AIIMS for MBBS; says, "I want to thank my parents Navodaya Vidyalaya, also Dakshina foundation for providing me financial help. A doctor in my village inspired me to choose this profession". #MadhyaPradesh pic.twitter.com/SISO6XpVxQ
— ANI (@ANI) July 19, 2018
आशाराम का खुशी जाहिर करते हुए कहा, एम्स से एमबीबीएस करने का मेरा सपना पूरा होने जा रहा है। मेरे माता-पिता मजदूरों के रूप में काम करते थे और उन्होंने मेरे पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष किया। "मैं अपने माता-पिता और नवोदय विद्यालय जहां से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। दक्षिणी नींव का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मेरे गांव में एक डॉक्टर ने मुझे इस पेशे को चुनने के लिए प्रेरित किया। अब जब मुझे एमबीबीएस मिल गया है, तो मैं डॉक्टक बनकर लोगों की मदद करना चाहता हूं क्योंकि यहां डिग्री के साथ कोई डॉक्टर नहीं है। "
आशाराम चौधरी के पिता रणजीत चौधरी यह बताकर दुखी हैं कि परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। उन्होंने कहा, "उन्हें एम्स में प्रवेश मिला है, लेकिन हमारे पास उनके समर्थन के लिए पैसा नहीं है। चलो देखते हैं कि हम क्या कर सकते हैं। अब तक एक डॉक्टर और कलेक्टर ने हमारी मदद की"।
इन्हें दिया सफलता का श्रेय
माता-पिता के अलावाआशाराम ने अपनी सफलता का श्रेय शिक्षकों और देवास के तत्कालीन एडीएम डॉ. कैलाश बुंदेला को दिया हैं। डॉ. बुंदेला ने उनकी मदद की है। जब एम्स में एडमिशन हुआ तो एडीएम सर ने भी शुभकामनाएं दी।
आशाराम की स्कूल लाइफ
आशाराम की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के पास ही सरकारी स्कूल में हुई। चौथी कक्षा में दत्तोतर के मॉडल स्कूल में प्रवेश लिया। जिसके बाद आशाराम ने कड़ी मेहनत की और छठी में जवाहर नवोदय विद्यालय चंद्रकेशर में पहुंच गए। यहां दसवीं तक पढ़ाई की। जिसके बाद उन्होंने दक्षिणा फाउंडेशन पुणे में अच्छे अंकों के साथ पास 11वीं-12वीं की परीक्षा पास की। इसके साथ में लगातार उन्होंने मेडिकल प्रवेश की तैयारी भी करते रहे और इसी साल मई में एम्स में प्रवेश के लिए आशाराम ने परीक्षा दी। जिसमें उनकी मेहनत रंग लाई।
पारिवारिक परिचय
मध्य प्रदेश के देवास से लगभग 40 किमी दूर विजयागंज मंडी में आशाराम चौधरी का परिवार रहता है। आशाराम चौधरी के पिता रणजीत चौधरी पन्नियां बीनकर और खाली बोतलें जमाकर घर का खर्च चलाते हैं, तो कभी खेतों में काम करते हैं। आशाराम की मां ममता बाई एक गृहिणी है। एक छोटी बहन है जो नवोदय विद्यालय में 12 की पढ़ाई कर रही है।
Created On :   20 July 2018 9:39 AM IST