खौफनाक आइलैंड जहां होते थे जैविक हथियारों परीक्षण, अब नहीं बचा इंसान का नामोनिशान

Creepy island where biological weapons used to be training
खौफनाक आइलैंड जहां होते थे जैविक हथियारों परीक्षण, अब नहीं बचा इंसान का नामोनिशान
अजब-गजब खौफनाक आइलैंड जहां होते थे जैविक हथियारों परीक्षण, अब नहीं बचा इंसान का नामोनिशान

डिजिटल डेस्क, भोपाल।  पूरी दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में राज समेट हुए हैं। और इन जगहों के बारे में ऐसा कहा जाता है, कि यह बेहद खौफनाक और घातक हैं। इन जगहों पर लोग को सिर्फ और सिर्फ मौत ही नसीब होती है। ऐसी ही एक जगह उज्बेकिस्तान में है। इस जगह को कभी जैविक हथियारों की टेस्टिंग का माना जाता था। मगर अब यहां इंसान का नोम-ओ-निशान भी नहीं है।  ये जगह आप को जितना हैरान करेगी ,उससे ज्यादा हैरानी आप को इस जगह के इतिहास के बारे में जानकर होगी।

1920 में सोवियत संघ के लोगों ने इस जगह की खोज की थी। वो लोग इस जगह पर भयंकर हथियारों की टेस्टिंग करते थे । ये हथियार मुख्य रूप से जैविक हथियार थे। इस जगह का नाम Vozrozhdeniya है। ये जगह दुनिया के सबसे बड़े जैविक हथियारों के वॉरफेयर के तौर पर प्रसिद्ध हुई थी।

 

 

जैविक हथियारों की टेस्टिंग का था केंद्र
सोवियत संघ के लोगों ने यहां साल 1948 में जैविक हथियारों को बनाने और उसे टेस्ट करने के लिए एक  प्रयोग शाला का निर्माड़ किया था। इस प्रयोगशाला का नाम एरलसक-7 था। 1990 में इसे बंद करने से पहले, यहां कई तरह की बीमारियों की टेस्टिंग और जैविक हथियारों का प्रशिक्षण किया गया था।


क्यों मानी जाती है दुनिया की सबसे घातक जगह
समय के साथ यहा बनने बाले सारे जैविक हथियारों को नष्ट कर दिया गया । मगर एंथ्रैक्स कई सदियों तक मिट्टी में रहता जाता है। इसी को लेकर वैज्ञानिक मानते हैं, कि आज भी यहां की जमीन में एंथ्रैक्स भारी मात्रा में है।  ऐसे में अगर कोई इंसान यहां जाता है तो उसकी मौत तय है। अब एरल सागर पूरी सूख चुका है । ये जगह रेगिस्तान में बदल चुकी है। यहां का तापमान हमेशा बहुत गर्म हो जाता है। ऐसे में इस जगह पर किसी का भी बच पाना नामुमकिन हो जाता है। 
 

Created On :   15 April 2022 12:55 PM IST

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