अजब गजब: भारत का यह गांव है सबसे सादगी भरा, जहां का वातावरण और लोगों का रहन सहन देख आ जाती है रामराज की याद

भारत का यह गांव है सबसे सादगी भरा, जहां का वातावरण और लोगों का रहन सहन देख आ जाती है रामराज की याद
  • भारत का यह गांव है सबसे सादगी भरा
  • लोगों का रहन सहन देख आ जाती है रामराज की याद
  • राज्य सरकार से मिल चुके हैं कई पुरस्कार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। देश में शहरों के मुकाबले गांव में रहने वाले लोगों की जिंदगी सादगी भरी होती है। कई गांव के वातावरण और माहौल को देखकर रामराज की अनुभूति आना शुरू हो जाती है। वहां की पुरानी परंपराओं और रीति रिवाज के बारे में जानकर हम आज भी हैरान रह जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा गांव मौजूद है जहां के लोग कभी किसी को अपशब्द नहीं करते हैं। साथ ही, वह लोग एक दूसरे के साथ परिवार की तरह ही मिलजुलकर रहते हैं। गुजरात के राजकोट जिले में स्थित इस गांव नाम राजसमढियाला है। जहां की बुनियादी सुविधाएं और स्थिति काफी बढ़िया है। कहा जाता है कि इस गांव में कोई गरीब व्यक्ति नहीं रहता है। आज भी गांव की समृद्धि विदेश को चुनौती देती है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगी कि गांव में आज भी रामराज देखने को मिलता है। इस गांव की एक विशेषता और है कि यहां कभी पुलिस नहीं आई है। साथ ही कोई पीड़ित भी नहीं हुआ है। यहां की गलियों में रामराज की परिकल्पना साकार होती दिखाई देती है। इसके अलावा गांव में अच्छे कामों को देखते हुए उसे पुरस्कार भी मिल चुका है।

आधुनिक सुविधाओं से लैस है गांव

यह गांव कोई साधारण गांव जैसा नहीं है। यहां के रहने वाले लोगों के घरों में वाई-फाई और गलियों में सीसीटीवी कैमरें देखने को मिलते हैं। वहीं, गांव की सड़के भी सीमेंट से बनाई गई है। यहां कभी भी कोई खुली नालियां नहीं देखने को मिलती है। गावं के हर घरों तक भूमिगत वॉटर स्पलाई की लाइनें लगाई गई है। स्ट्रीट लाइट्स सोलर से जलती है। लोगों को स्वच्छ पानी मिल पाए इसके लिए पूरे व्यवस्था की गई है। गांव का आंगनवाड़ी केंद्र भी काफी अच्छा है। यहां एक प्राथमिक और एक माध्यमिक विद्यालय भी बनाया गया है। इसके साथ ही, यहां एक डाक घर भी मौजूद है। लोगों को गांव में सही समय पर इलाज मिल पाए। इसके लिए यहां एक पीएचसी सेंटर भी बनाया गया है। इस गांव में लगभग 300 घर और 100 गाड़ियां होगी। इसके मतलब यह कि यहां के हर तीसरे घर में एक कार जरूर दिख जाएगी। जानकारी के मुताबिक, ग्राम पंचायत की फिक्स डिपॉजिट करीब दो करोड़ रुपये जितनी है।

गांव को राज्य सरकार से मिल चुके हैं कई पुरस्कार

गुजरात के राजसमढियाला गांव की सफाई और स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से कई सारे पुरस्कार भी मिले हैं। जिसमें राष्ट्रीय ग्राम विकास पुरस्कार, राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ जल संचयन पुरस्कार, राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार, जिला स्तरीय सर्वश्रेष्ठ सरपंच पुरस्कार मिल चुका है. इसके अलावा निर्मल ग्राम पुरस्कार, तीर्थग्राम पुरस्कार, समरस ग्राम पंचायत पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत जैसे नाम शामिल हैं।

गांव की ग्रामीण पंचायत ही यहां की अदालत

यह गांव राजकोट से करीब 22 किमी की दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि इस गांव में पिछले 30 सालों में एक भी अपराध नहीं हुआ है। जिसके चलते यहां आजतक पुलिस की जीप दिखाई नहीं दी है। गांव के पंचायत की ओर से बनाए गए सख्त नियम को कानून के तौर पर माना जाता है। ऐसे में यहां कि लोक अदालत ग्रामीणों के लिए काफी न्यायप्रिय है। कभी भी इस गांव के लोग न्याय मांगने के लिए अदालत नहीं जाते हैं। उनकी अर्जी गांव की लोक अदालत और ग्राम पंचायत सुनती है। गांव में हो रही छोटी बड़ी समस्या का निवारण ग्राम पंचायत ही करती है। जिसमें किसी भी मुद्दे पर फैसला करने के लिए पंचायत समिति बैठकर फैसला करती है।

Created On :   3 Feb 2024 1:13 AM IST

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