अजब-गजब: लाशों को पहनाते हैं कपड़े, पिलाते हैं सिगरेट, जानिए इंडोनेशिया की इस अजीबों गरीब परंपरा के बारे में

लाशों को पहनाते हैं कपड़े, पिलाते हैं सिगरेट, जानिए इंडोनेशिया की इस अजीबों गरीब परंपरा के बारे में
  • इंडोनेशिया में मृतकों को निकालते हैं कब्र से बाहर
  • उनको खाना, पानी के साथ-साथ पिलाते हैं सिगरेट
  • बहुत महंगा होता है इनका अंतिम संस्कार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आपने देश में कई तरह की अनोखी परंपराओं के बारे में सुना होगा। ऐसी ही एक परंपरा इंडोनेशिया में भी मनाई जाती है। जो सारी दुनिया को हैरान कर देगी। इंडोनेशिया में लाशों को निकाल कर उन्हें कपड़े पहनाए जाते हैं और सिगरेट भी पिलाई जाती है। इंडोनेशिया के साउथ सुलावेसी में एक पहाड़ी इलाके में रहने वाली टोराजा जनजाति मृतकों के लाशों को कब्र से निकाल कर ममी बना देती है। इंडोनेशिया में ममी की इस तरह देखभाल की जाती है जैसे वह अभी भी जिंदा हों। यहां की जनजाति का ऐसा मानना है कि मरने के बाद भी आत्मा घर पर ही रहती है।

प्रियजनों की यादों में ये करते हैं यहां के लोग

यहां अपने देश में हमारे प्रियजनों की याद में लोगों को भोजन कराया जाता है वहीं इंडोनेशिया के साउथ सुलावेसी में एक जनजाति है जो अलग तरह से अपने दिवंगत प्रियजनों को याद करती है। यह जनजाति अपने मृत परिजनों के शवों को ममी बना देती है। साथ ही उनका मानना है कि मरने के बाद भी आत्मा घर पर ही रहती है इसलिए वह लाशों को कब्र से निकाल कर कपड़े पहनाती है। भोजन करवाती है, पीने को पानी देती है और सिगरेट भी पिलाती है।

क्या है यहां की परंपरा?

इंडोनेशिया के इस इलाके की जनजातियों में मृतको के शवों को प्रतिदिन भोजन कराने और उन्हें एक कमरे में आरामदायक तरीके से रखने की परंपरा है। यह तब तक किया जाता है जब तक परिवार उनके अंतिम संस्कार का खर्च वहन करने में सक्षम ना हो जाए। ऐसा इसलिए भी किया जाता है क्योंकि इनके समुदाय में अंतिम संस्कार की विधि थोड़ी महंगी होती है।

कैसे करते हैं अंतिम संस्कार?

इन समुदायों में अंतिम संस्कार के समय भैंसों से लेकर सुअर तक की बलि दी जाती है। जिसमें बहुत ज्यादा खर्चा आता है। इस जनजाति में जो ज्यादा पैसे वाला होता है वह उतने ही ज्यादा जानवरों की बलि देता है। उनका कहना है कि देर से शव दफनाने से शोक प्रकिया में भी मदद मिलती है। लेकिन यहां ऐसा नहीं है कि मृतकों को कब्र में दफनाने के बाद उन्हें भूल जाएं। यहां अपने परिजनों की याद में हर साल एक अनोखी रस्म की जाती है। जिसे मानेने कहते हैं। यह एक तरह का अंतिम संस्कार समारोह होता है जो फसल की बुआई करने से पहले अगस्त के महीने में की जाती है। इस प्रकिया में टोराजा जनजाति अपने मृत परिजनों को कब्र से बाहर निकाल कर उनकी सफाई करते हैं। उसके बाद उन्हें नए कपड़े पहनाते हैं और जिंदा इंसानो की तरह उनसे बातें भी करते हैं। इसके साथ ही अपना उत्सव मनाते हैं। अपने मृत परिजनों को खिलाते-पिलाते हैं। यहां तक कि उन्हें सिगरेट भी पिलाते हैं। उसके बाद शवों को वापस दफना देते हैं। टोराजा जनजाति अपने मृत परिजनों को भी जीवित आत्मा की तरह मानते हैं।

Created On :   13 Sept 2024 5:19 PM IST

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